
एआरबी टाइम्स ब्यूरो
रामपुर बुशहर। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर सीटू से संबद्ध यूनियनों और हिमाचल किसान सभा ने बुधवार को रामपुर बाजार में लेबर कोड के खिलाफ विशाल आम हड़ताल के तहत रैली निकाली और विरोध प्रदर्शन किया। रैली में हिमाचल किसान सभा के राज्य महासचिव राकेश सिंघा, सीटू शिमला जिला सचिव अमित, कृष्णा राणा, गुरदास, प्रमोद, राजपाल भंडारी, मंजीत, देवेंद्र, आशा, सुनील जिष्टू, राधा, शालू, परमिंदर सहित विभिन्न संगठनों के सैकड़ों कार्यकर्ता शामिल हुए।
नेताओं ने कहा कि यह आम हड़ताल मजदूर विरोधी चार लेबर कोड को वापस लेने की मांग को लेकर है। इसके साथ ही उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी, शहरी मनरेगा का विस्तार, महंगाई और निजीकरण पर रोक की मांगों को भी दोहराया। राकेश सिंघा और अन्य नेताओं ने कहा, मोदी सरकार पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए आम जनता, मजदूरों और किसानों के अधिकारों को लगातार कुचल रही है। मजदूरों की यूनियन बनाने की आज़ादी, हड़ताल करने का अधिकार और काम के सुरक्षित घंटे तक छीने जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि लेबर कोड के माध्यम से मजदूरों को 44 पुराने श्रम कानूनों के लाभ से वंचित कर दिया गया है। इससे 74% मजदूर सामाजिक सुरक्षा और 70% उद्योग श्रमिक सुरक्षा के दायरे से बाहर हो गए हैं। नेताओं ने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण, पुलाप्रे-अमन अध्ययन, और विश्व असमानता रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि देश में गरीबी, कुपोषण, बेरोजगारी और आय की असमानता लगातार बढ़ रही है। 2023-24 में ग्रामीण आबादी का बड़ा हिस्सा एक दिन की थाली तक नहीं खरीद सका।
मोदी सरकार पर आरोप: नेताओं ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार की “गैर-जवाबदेह नीतियों” ने श्रमिकों की सामूहिक कार्रवाई को ‘संगठित अपराध’ की श्रेणी में डाल दिया है। 183 केंद्रीय कानूनों को कमजोर कर दिया गया है। हड़ताल, गेट मीटिंग और यूनियन गतिविधियों तक को आपराधिक बनाना लोकतांत्रिक अधिकारों पर सीधा हमला है।
मजदूरों का ऐलान: देशभर के मजदूर और किसान आने वाले समय में निर्णायक लड़ाई लड़ेंगे और लेबर कोड को वापस करवाएंगे। यह हड़ताल नवउदारवादी नीतियों, कॉरपोरेट कब्जे, और जनविरोधी आर्थिक नीतियों के खिलाफ एक जन आंदोलन बन चुकी है।
