Shimla : 12वीं कक्षा के छात्र ने पढ़ाई के तनाव में की आत्महत्या, सुसाइड नोट में बताए कारण

एआरबी टाइम्स ब्यूरो 

शिमला। राजधानी शिमला के एक सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले 12वीं कक्षा के छात्र ने पढ़ाई के तनाव में आकर आत्महत्या कर ली। यह दुखद घटना फागली क्षेत्र में हुई, जहां छात्र ने घर पर अकेले रहते हुए साड़ी से फंदा बनाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। पुलिस को छात्र की नोटबुक पर एक सुसाइड नोट मिला है, जिसमें उसने लिखा कि हाल ही में हुए तीन हाउस टेस्ट अच्छे नहीं हुए, जिससे वह मानसिक तनाव में था। छात्र ने लिखा कि वह इसी कारण आत्महत्या कर रहा है।

घटना के समय छात्र घर पर अकेला था। शाम करीब 4:30 बजे जब उसके पिता घर लौटे, तो उन्होंने दरवाजा बंद पाया। खिड़की से झांकने पर उन्होंने बेटे को फंदे से लटका देखा। शोर मचाने पर पड़ोसी पहुंचे और दरवाजा तोड़कर उसे IGMC अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। छात्र कॉमर्स संकाय में पढ़ता था और स्कूल में पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन करता था।

मानसिक रोग विशेषज्ञों का कहना है कि कहा कि बढ़ती प्रतिस्पर्धा और पारिवारिक अपेक्षाएं बच्चों पर मानसिक दबाव बढ़ा रही हैं। अभिभावकों को चाहिए कि वे बच्चों के साथ संवाद बनाए रखें और उन्हें यह समझाएं कि असफलता भी जीवन का हिस्सा है।

🧠 बच्चों में मानसिक तनाव के लक्षण:

  • अचानक व्यवहार में बदलाव
  • बहुत शांत हो जाना या गुस्सैल हो जाना
  • ज़रा-ज़रा सी बात पर रो देना या चिड़चिड़ाना
  • बातचीत से दूरी बनाना
  • माता-पिता या दोस्तों से खुलकर बात न करना
  • स्कूल या सामाजिक गतिविधियों से कतराना
  • नींद और भूख में बदलाव
  • देर से सोना या बार-बार नींद से उठना
  • भूख का कम या ज्यादा लगना
  • पढ़ाई में मन न लगना
  • ध्यान न लगना, टेस्ट या होमवर्क से डर
  • स्कूल जाने से इनकार
  • नकारात्मक बातें करना
  • खुद को बेकार या असफल समझना
  • सिरदर्द, पेट दर्द या थकान की शिकायत करना, जबकि कोई मेडिकल कारण न हो

🌈 बच्चों को मानसिक तनाव से कैसे दूर रखें:

✅ 1. सुनें और समझें, सिर्फ आदेश न दें
बच्चों की बातों को गंभीरता से सुनें
उन्हें अपनी भावनाएं खुलकर व्यक्त करने दें

✅ 2. बच्चों पर अपेक्षाओं का बोझ न डालें
नंबर, रैंक या सफलता का दबाव न बनाएं
उनकी कोशिशों की सराहना करें

✅ 3. रोजाना संवाद करें
दिन का एक समय ऐसा रखें जब आप बच्चे से खुलकर बात करें
मोबाइल/टीवी से ध्यान हटाकर बच्चे को समय दें

✅ 4. खेलकूद और रचनात्मक गतिविधियों को बढ़ावा दें
आउटडोर गेम्स, आर्ट, म्यूजिक आदि तनाव को दूर करने में मदद करते हैं

✅ 5. सकारात्मक माहौल बनाएं
घर में शांति और सहयोग का वातावरण रखें
गलती पर डांटने की बजाय समझाएं

✅ 6. काउंसलिंग और प्रोफेशनल मदद लें (यदि ज़रूरत हो)
यदि बच्चा लगातार उदास, डर या गुस्से में है, तो चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट या काउंसलर से संपर्क करें
याद रखें: हर बच्चा अलग होता है। तुलना नहीं, समझ और साथ दें।
बच्चों को यह भरोसा देना ज़रूरी है कि असफलता अंत नहीं, सीखने की शुरुआत होती है।

 


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *