एआरबी टाइम्स ब्यूरो
शिमला। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) में छात्र समस्याओं को लेकर स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) विश्वविद्यालय इकाई ने आज ईसी (कार्यकारी परिषद) के उम्मीदवारों को ज्ञापन सौंपा। इस दौरान एसएफआई ने छात्र संघ चुनाव बहाली से लेकर शिक्षा व्यवस्था में व्याप्त अव्यवस्थाओं को लेकर विस्तार से चर्चा की और प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि मांगें जल्द पूरी नहीं हुईं तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा।
एसएफआई के विश्वविद्यालय परिसर सह-सचिव कॉमरेड आशीष ने कहा कि वर्ष 2013 के बाद से छात्र संघ चुनाव स्थगित हैं, जिससे छात्र राजनीति प्रभावित हुई है और विद्यार्थियों को प्रतिनिधित्व का अधिकार नहीं मिल पा रहा है। एसएफआई ने मांग की कि छात्रों के जनवादी अधिकारों की बहाली हेतु प्रत्यक्ष छात्र संघ चुनाव तुरंत शुरू किए जाएं।
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के छात्रों को 10% आरक्षण देने के 103वें संविधान संशोधन को लागू करने में विफल रहने पर भी एसएफआई ने नाराजगी जताई। संगठन ने स्पष्ट किया कि यह संविधान का उल्लंघन है और विश्वविद्यालय को शीघ्र ही इस आरक्षण को लागू करना चाहिए।
एसएफआई ने छात्रावास संकट का मुद्दा उठाते हुए बताया कि विश्वविद्यालय में लगभग 4000 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं, जबकि महज 1200 को ही हॉस्टल सुविधा मिलती है। उन्होंने मांग की कि छात्रावासों का विस्तार कर सभी छात्रों को रहने की सुविधा दी जाए।
एसएफआई विश्वविद्यालय इकाई उपाध्यक्ष कॉमरेड योगी ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय में 70% शिक्षक फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नियुक्त हुए हैं। उन्होंने कहा कि ये शिक्षक न केवल शैक्षणिक वातावरण को प्रभावित कर रहे हैं, बल्कि खुलेआम राजनीतिक गतिविधियों में भी संलिप्त हैं, जो विश्वविद्यालय के ऑर्डिनेंस का उल्लंघन है। एसएफआई ने फर्जी भर्तियों की न्यायिक जांच और दोषी शिक्षकों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की।
संगठन ने नई शिक्षा नीति (एनईपी 2020) का विरोध करते हुए कहा कि इसके माध्यम से शिक्षा का भगवाकरण और निजीकरण किया जा रहा है। एसएफआई ने आरोप लगाया कि प्रगतिशील लेखकों की किताबों को सिलेबस से हटाया जा रहा है और शिक्षा को बाजार की वस्तु की तरह बेचा जा रहा है।
गैर-शिक्षक कर्मचारियों की भर्ती को लेकर भी एसएफआई ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए। सह-सचिव आशीष ने बताया कि 2019 और 2021 में भर्ती का विज्ञापन निकाला गया, लेकिन प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं की गई। आरटीआई के माध्यम से पता चला कि विश्वविद्यालय ने इस प्रक्रिया के जरिए छात्रों से लगभग 4.5 करोड़ रुपये एकत्र किए हैं। संगठन ने मांग की कि इस भर्ती प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूर्ण किया जाए।
ज्ञापन सौंपते समय एसएफआई ने स्पष्ट किया कि यदि इन सभी मांगों को जल्द नहीं माना गया, तो संगठन छात्रों को संगठित कर प्रशासन के खिलाफ बड़ा आंदोलन खड़ा करेगा, जिसकी पूर्ण जिम्मेदारी विश्वविद्यालय प्रशासन की होगी।
