एआरबी टाइम्स ब्यूरो
रामपुर बुशहर। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त शोध में यह निष्कर्ष निकला है कि अध्यात्मिक और भावात्मक बुद्धिमत्ता (Spiritual and Emotional Intelligence) का समन्वय शिक्षकों की कार्यक्षमता, शिक्षण शैली और विद्यार्थियों की उपलब्धियों को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। यह शोध कार्य डॉ. सीमा भारद्वाज द्वारा किया गया है, जो वर्तमान में सर्वपल्ली राधाकृष्णन बी.एड./एम.एड. कॉलेज, नोगली, रामपुर बुशहर में प्राचार्या के पद पर कार्यरत हैं।
शोध में पाया गया कि जिन शिक्षकों में अध्यात्मिक समझ अधिक थी, वे शिक्षण की प्रभावशीलता में भी अग्रणी रहे। इस अध्ययन के अंतर्गत योग अभ्यास, प्राणायाम, ओम् उच्चारण, सूर्य नमस्कार, ध्यान तकनीक और दर्शनशास्त्र जैसे विषयों को शामिल किया गया, जिससे शिक्षकों और भावी अध्यापकों को मानसिक स्थिरता, करुणा, क्षमा, जीवन मूल्य, भाग्य व कर्म सिद्धांत जैसी अवधारणाओं की बेहतर समझ प्राप्त हुई।
डॉ. सीमा भारद्वाज ने बताया कि यह प्रयोगात्मक शोध शिक्षकों को न केवल तनाव, अवसाद और कुंठा जैसी मानसिक समस्याओं से उबारने में मददगार है, बल्कि युवाओं में आत्म साक्षरता, नागरिक चेतना और करुणामूलक प्रतिस्पर्धा को भी विकसित करता है।
इस शोध कार्य को हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय और शिक्षा विभाग द्वारा सराहा गया है। शिक्षा विभाग के अध्यक्ष डॉ. चमन लाल बंगा ने अन्य शोधार्थियों को भी इस दिशा में कार्य करने के लिए प्रेरित किया है।
डॉ. भारद्वाज की शैक्षणिक पृष्ठभूमि बेहद प्रेरणादायक रही है। उन्होंने शिक्षा, दर्शन, मनोविज्ञान, इतिहास, संगीत व पत्रकारिता में मास्टर्स डिग्री प्राप्त की है और शिक्षा विषय में पीएच.डी. तथा एम.फिल. की उपाधि भी हासिल की है। वे NET उत्तीर्ण हैं और उनके नाम 15 शोधपत्र व चार पुस्तकें प्रकाशित हैं। उन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर कई सेमिनारों में भाग लिया है और 36 एम.एड. शोधार्थियों का मार्गदर्शन कर चुकी हैं।
वर्तमान में वे हिमाचल प्रदेश में शिक्षा क्षेत्र में 16 वर्षों से सक्रिय योगदान दे रही हैं। उनकी यह उपलब्धि न केवल रामपुर क्षेत्र बल्कि पूरे प्रदेश के लिए गर्व का विषय है। संस्थान के अध्यक्ष डॉ. मुकेश शर्मा ने उनके इस शोध कार्य के लिए उन्हें बधाई दी और भविष्य में भी समाजहित में कार्य करने की आशा जताई।
