एआरबी टाइम्स ब्यूरो
शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। अब राज्य के सभी सरकारी, अर्ध-सरकारी और निजी तकनीकी शिक्षण संस्थानों में अनाथ बच्चों के लिए प्रत्येक पाठ्यक्रम में एक सीट आरक्षित की जाएगी।
यह प्रावधान आईटीआई, पॉलिटेक्निक, इंजीनियरिंग कॉलेज और फार्मेसी संस्थानों सहित सभी तकनीकी संस्थानों पर लागू होगा। इसका उद्देश्य समाज के सबसे कमजोर वर्ग—अनाथ बच्चों—को गुणवत्तापूर्ण तकनीकी शिक्षा का अवसर प्रदान करना है, जिससे वे अपने जीवन को एक नई दिशा दे सकें।
सरकारी प्रवक्ता के अनुसार, प्रवेश पूरी तरह मेरिट पर आधारित होंगे और पात्रता की पुष्टि संबंधित सक्षम अधिकारी द्वारा की जाएगी। यह व्यवस्था बिना किसी अतिरिक्त वित्तीय या ढांचागत बोझ के लागू की जाएगी, जिससे संसाधनों का सतत और प्रभावी उपयोग सुनिश्चित होगा।
इस योजना का समर्थन मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना से भी होता है, जिसके तहत अनाथ बच्चों को “चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट” का दर्जा दिया गया है और उनकी शिक्षा, पालन-पोषण और देखभाल की जिम्मेदारी राज्य सरकार 27 वर्ष की आयु तक उठाती है। हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य है जिसने अनाथ बच्चों को कानूनी अधिकार देने के लिए विशेष कानून बनाया है।
