shimla: एसएफआई ने राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन, छात्र संघ चुनाव की बहाली और विश्वविद्यालय में सुधार की उठाई मांग

एआरबी टाइम्स ब्यूरो

शिमला। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की छात्र इकाई स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) ने आज छात्रों की विभिन्न समस्याओं को लेकर राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा। एसएफआई ने यह ज्ञापन विश्वविद्यालय में छात्रों के जनवादी अधिकार, छात्रावास की समस्या, फर्जी शिक्षक भर्तियों, नई शिक्षा नीति और लंबित गैर-शिक्षक भर्ती जैसे मुद्दों को लेकर प्रस्तुत किया।

प्रत्यक्ष छात्र संघ चुनाव की बहाली की मांग
एसएफआई के विश्वविद्यालय परिसर सह-सचिव कामरेड आशीष ने राज्यपाल से प्रत्यक्ष छात्र संघ चुनाव शीघ्र बहाल करने की मांग की। उन्होंने कहा कि वर्ष 2013 के बाद से छात्र संघ चुनाव बंद हैं, जिससे छात्रों की आवाज़ प्रशासन तक नहीं पहुंच पा रही है और छात्र राजनीति कमजोर हो रही है। उन्होंने छात्र संघ चुनाव को बहाल कर छात्र प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया।

छात्रावास की कमी पर चिंता
एसएफआई ने विश्वविद्यालय में छात्रावास की गंभीर कमी की ओर ध्यान दिलाया। बताया गया कि लगभग 4000 छात्रों में से मात्र 1200 को ही छात्रावास की सुविधा मिल पाती है। संगठन ने नए छात्रावासों के निर्माण की मांग की।

फर्जी शिक्षक भर्ती की न्यायिक जांच की मांग
एसएफआई के उपाध्यक्ष कामरेड अमन ने आरोप लगाया कि आरटीआई के माध्यम से मिली जानकारी के अनुसार विश्वविद्यालय में 70% शिक्षक फर्जी दस्तावेजों के आधार पर भर्ती किए गए हैं। उन्होंने कहा कि ये शिक्षक संघ के एजेंडे को लागू कर रहे हैं और राजनीतिक गतिविधियों में संलिप्त हैं, जो विश्वविद्यालय के नियमों का उल्लंघन है। एसएफआई ने इन भर्तियों की न्यायिक जांच तथा दोषियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की।

नई शिक्षा नीति का विरोध
एसएफआई ने एनईपी 2020 को आमजन विरोधी बताते हुए कहा कि इसके जरिए शिक्षा का भगवाकरण और निजीकरण किया जा रहा है। संगठन ने आरोप लगाया कि प्रगतिशील लेखकों की किताबों को पाठ्यक्रम से हटाया जा रहा है और शिक्षा को बाज़ार की वस्तु बना दिया गया है।

गैर-शिक्षक कर्मचारियों की लंबित भर्तियों का मामला उठाया
सह-सचिव आशीष ने कहा कि 2019 और 2021 में गैर-शिक्षक कर्मचारियों की भर्ती के लिए विज्ञापन तो निकाले गए, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन आज तक भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं कर पाया। एसएफआई ने आरटीआई के हवाले से कहा कि छात्रों से लगभग 4.50 करोड़ रुपए की वसूली के बावजूद भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं की गई, जो छात्र हितों के खिलाफ है।

राज्यपाल से हस्तक्षेप की अपील
एसएफआई ने राज्यपाल से आग्रह किया कि इन सभी मुद्दों पर तत्काल संज्ञान लेकर हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में छात्रों को राहत प्रदान की जाए और शिक्षण माहौल को बेहतर बनाया जाए।

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