एआरबी टाइम्स ब्यूरो
शिमला। हिमाचल प्रदेश में अब मरीजों को सरकारी अस्पतालों में बेहतर मार्गदर्शन और सहयोग मिलेगा। प्रदेश सरकार पीजीआई चंडीगढ़ की तर्ज पर ‘प्रोजेक्ट सारथी’ को शुरू कर रही है। इस योजना के तहत अब कॉलेजों के एनएसएस (राष्ट्रीय सेवा योजना), एनसीसी (राष्ट्रीय कैडेट कोर) और भारत स्काउट्स एंड गाइड्स के छात्र अस्पतालों में मार्गदर्शक और सुविधाकर्ता की भूमिका निभाएंगे। इस योजना का उद्देश्य सरकारी अस्पतालों में रोगियों और उनके परिजनों के लिए सेवाओं को सरल और सुगम बनाना है। स्वास्थ्य और उच्च शिक्षा विभाग मिलकर इस परियोजना को प्रदेश भर में लागू करेंगे।
प्रोजेक्ट सारथी की सफलता की मिसाल पहले ही पीजीआई चंडीगढ़ में देखी जा चुकी है। यहां यह मॉडल रोगी संतुष्टि, ऑपरेशनल एफिशिएंसी और बेहतर संवाद व्यवस्था के लिए प्रभावशाली साबित हुआ है। प्रशिक्षित छात्र स्वयंसेवक अस्पताल परिसर में आने वाले लोगों को कतार प्रबंधन, नेविगेशन, प्रक्रियाओं की जानकारी और आवश्यक सेवाओं तक पहुंचने में मदद करते हैं।
शुरुआत में सभी कॉलेजों को भेजे गए निर्देश:
उच्च शिक्षा निदेशालय ने सभी कॉलेज प्रिंसिपलों को निर्देश जारी करते हुए कहा है कि वे अभिभावकों की सहमति से इच्छुक स्वयंसेवकों की सूची तैयार करें। इन छात्रों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि वे अस्पतालों में मरीजों और उनके परिजनों को आवश्यक जानकारी और नेविगेशन सहायता दे सकें।
एसओपी और नोडल अधिकारी नियुक्त:
उच्च शिक्षा निदेशालय ने पीजीआई चंडीगढ़ की ओर से जारी स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) सभी कॉलेजों को भेज दी है। प्रत्येक चिकित्सा संस्थान को अपनी जरूरतों के अनुसार स्थानीय एसओपी तैयार करने के निर्देश भी दिए गए हैं। इस योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त कर दिए गए हैं। प्रोजेक्ट सारथी युवाओं में सेवा भावना, ज़िम्मेदारी और करुणा की भावना को बढ़ावा देगा। इसके जरिए न केवल छात्रों को सामाजिक सेवा का अवसर मिलेगा, बल्कि अस्पतालों में मरीजों को भी अधिक बेहतर अनुभव प्राप्त होगा।
योजना से दोहरा लाभ: इस परियोजना से एक ओर जहां युवाओं को अस्पतालों के कामकाज को समझने और समाज सेवा का अवसर मिलेगा, वहीं दूसरी ओर मरीजों को प्रक्रियात्मक सहायता और मार्गदर्शन मिलने से उनका अनुभव बेहतर होगा।
