एआरबी टाइम्स ब्यूरो
रामपुर। रविवार जैसे अवकाश के दिन भी आयुर्वेदिक अस्पताल रामपुर में चिकित्सकों ने सेवा भाव के साथ लगभग 80 मरीजों का उपचार विभिन्न अनुशस्त्र आयुर्वेदिक कर्मों द्वारा किया। इस विशेष कार्यशाला में प्राचीन व प्रभावी चिकित्सा पद्धतियों का प्रयोग कर रोगियों को राहत दी गई।
कार्यशाला में सम्मिलित प्रमुख उपचार विधियाँ:
अलाबू चिकित्सा (कपिंग थैरेपी)
जलौका द्वारा रक्तमोक्षण (लीच थैरेपी)
धातु स्वेद, मृतिका स्वेद (स्वेदन क्रियाएं)
बिंदु अग्निकर्म, विलेखन अग्निकर्म
प्रतिसारण अग्निकर्म
इस सेवा की शुरुआत डॉ. कपिल शर्मा द्वारा की गई है, जो हाल ही में किन्नौर से स्थानांतरित होकर रामपुर आए हैं। डॉ. शर्मा का उद्देश्य है कि आमजन को आयुर्वेदिक चिकित्सा से जोड़ा जाए और प्राचीन उपचार पद्धतियों का लोककल्याण में उपयोग किया जाए।
प्रमुख उपशल्य (Parasurgical) आयुर्वेदिक विधियाँ और उनके लाभ:
1️⃣ अग्निकर्म (Agnikarma – ताप चिकित्सा)
उपचार योग्य रोग:
संधिवात (जोड़ों का दर्द)
अन्निल वात (साइयटिका)
माईग्रेन
हील स्पर
टेनिस एल्बो
अर्बुद (गांठें)
रक्तमोक्षण (Raktamokshan – Blood Letting)
प्रकार: जलौका, सिरा वेधन
उपयोगी रोग:
त्वचा रोग (सोरायसिस, एलर्जी)
वातरक्त (गठिया)
उच्च रक्तचाप
चेहरे के दाग, मुँहासे
वरिकोज वेन्स
अलाबू चिकित्सा (Alabu – कपिंग थैरेपी)
उपयोगी रोग:
मांसपेशियों का दर्द
स्पॉन्डिलाइटिस
दमा, ब्रोंकाइटिस
स्पोर्ट्स इंजरी
नसों में जकड़न
विद्ध चिकित्सा (Viddha Karma – ड्राय नीडलिंग)
उपयोगी रोग:
अर्धांगवात
साइटिका
मांसपेशियों की गांठें
त्रिजेमिनल न्यूराल्जिया
स्वेदन (Swedan – स्टीम थेरेपी)
प्रकार: पत्र पिंड, बालू, मिट्टी
उपयोगी रोग:
जोड़ों का दर्द
मोटापा
गठिया
पक्षाघात
विलेखन अग्निकर्म (Vilekhan Agnikarma)
उपयोगी रोग:
मस्से, फुंसी
त्वचा की गांठें
पुराने नासूर
अन्य रोग जिनमें लाभकारी:
भगंदर
बवासीर
नाड़ीव्रण
फोड़े व अपक्व व्रण
फाइब्रॉइड्स (गर्भाशय की गांठें)
