एआरबी टाइम्स ब्यूरो
शिमला। लंबे समय से घाटे में चल रहे हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड (एचपीएसईबीएल) ने पहली बार इतिहास में 315 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड मुनाफा दर्ज किया है। यह मुनाफा वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान हुआ है, जो अब तक का सबसे अधिक है और राज्य की ‘नई सोच, नया हिमाचल’ की दिशा में एक मजबूत कदम है।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में लिए गए दूरदर्शी निर्णयों और वित्तीय अनुशासन से यह उपलब्धि संभव हुई। 31 मार्च 2024 तक बोर्ड का घाटा 3,742 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था, लेकिन सरकार की नीतियों ने इसे बदलकर मुनाफे में परिवर्तित कर दिया।
आर्थिक अनुशासन और पारदर्शी प्रशासन बना सफलता की कुंजी
मुख्यमंत्री बनने के पहले दिन से ही सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आर्थिक सुधार और सुशासन को प्राथमिकता दी। सरकारी उपक्रमों को आत्मनिर्भर बनाने और व्यावसायिक दक्षता लाने के स्पष्ट निर्देश दिए गए। एचपीएसईबीएल ने इस विजन को लागू करते हुए खर्च में कटौती, राजस्व सुधार और वित्तीय अनुशासन अपनाया, जिससे यह ऐतिहासिक लाभ संभव हुआ।
कर्मचारियों को मिला आर्थिक लाभ
बोर्ड की बेहतर वित्तीय स्थिति के चलते वित्त वर्ष 2024-25 में कर्मचारियों और पेंशनरों को 368.89 करोड़ रुपये के वित्तीय लाभ की मंजूरी दी गई, जो पिछले वर्ष मात्र 87.56 करोड़ थी। 31 जुलाई 2025 तक ही 187.86 करोड़ रुपये का भुगतान हो चुका है, जो सरकार की कर्मचारियों के कल्याण के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
मुख्यमंत्री ने दी बधाई
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने एचपीएसईबीएल के प्रबंधन, अधिकारियों और कर्मचारियों को इस ऐतिहासिक सफलता पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि सरकार की पारदर्शी नीति, ईमानदार प्रशासन और जन-कल्याणकारी सोच का परिणाम है। सरकार आगे भी सभी सार्वजनिक उपक्रमों में सुधारात्मक कदम उठाती रहेगी।
शिक्षा में भी ऐतिहासिक सुधार
राज्य सरकार द्वारा शिक्षा क्षेत्र में किए गए सुधारों का असर भी दिखाई दे रहा है। हिमाचल प्रदेश ने गुणवत्ता आधारित शिक्षा में 21वें स्थान से छलांग लगाकर 5वें स्थान तक का सफर तय किया है, जो मुख्यमंत्री की इच्छाशक्ति और दूरदर्शिता को प्रमाणित करता है।
