एआरबी टाइम्स ब्यूरो
शिमला। राज्य सरकार ने सतत और रसायन मुक्त कृषि को बढ़ावा देने के लिए चंबा जिले के पांगी को हिमाचल प्रदेश का पहला प्राकृतिक खेती उप-मंडल घोषित किया है। इस निर्णय का उद्देश्य राज्य में प्राकृतिक खेती की पारिस्थितिकी प्रणाली को सुदृढ़ करना है।
प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए पांगी घाटी में एक विशेष किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) की स्थापना की जाएगी। यह एफपीओ प्राकृतिक खेती से प्राप्त उत्पादों के विपणन, उत्पादन में अंतराल को पाटने, आपूर्ति श्रृंखला के समुचित प्रबंधन, ग्रेडिंग, पैकेजिंग और बाजार से जोड़ने जैसे कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
राज्य सरकार के प्रवक्ता ने जानकारी दी कि एफपीओ किसानों को उनकी प्राकृतिक उपज के लिए बेहतर मूल्य और उपयुक्त बाजार तक पहुंच प्रदान करेगा। पंचायत स्तर पर CETARANF प्रणाली के अंतर्गत किसानों के समूह बनाए जाएंगे और उन्हें प्रमाणित किया जाएगा। इस प्रणाली को पूरे राज्य में अपनाया गया है।
इसके अलावा, सरकार Large Area Certification (LAC) के लिए पांगी घाटी में भागीदारी गारंटी प्रणाली के अंतर्गत एक समिति का गठन कर चुकी है, जिसे प्रमाणन प्रक्रिया के लिए विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने का कार्य सौंपा गया है।
सरकार ने पांगी क्षेत्र में प्राकृतिक खेती से उत्पादित जौ को 60 रुपये प्रति किलोग्राम के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदने की घोषणा की है। इससे स्थानीय युवाओं और किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा और स्थायी आजीविका का साधन भी उपलब्ध होगा।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए पांगी क्षेत्र के किसानों के लिए 5 करोड़ रुपये का रिवॉल्विंग फंड प्रदान करने की घोषणा की है।
यह कदम पांगी की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा।