शिमला, 18 जुलाई 2025।
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में आज न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान को झारखंड उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाए जाने पर गरिमामय विदाई दी गई। कार्यक्रम में उनके न्यायिक योगदान, सादगी और अनुशासन की भावुकतापूर्ण स्मृतियों के साथ उन्हें सम्मानपूर्वक विदा किया गया।
न्यायमूर्ति चौहान का जन्म 9 जनवरी 1964 को तहसील रोहड़ू में हुआ। उन्होंने शिमला के बिशप कॉटन स्कूल से शिक्षा प्राप्त की और डीएवी कॉलेज, चंडीगढ़ से स्नातक तथा पंजाब विश्वविद्यालय से विधि की डिग्री ली। वर्ष 1989 में हिमाचल प्रदेश बार काउंसिल में अधिवक्ता के रूप में नामांकित हुए और वरिष्ठ अधिवक्ता स्वर्गीय चभील दास के सानिध्य में कार्य आरंभ किया।
वह विभिन्न विधिक क्षेत्रों में सक्रिय रहे और अनेक सरकारी संस्थाओं के लिए अधिवक्ता के रूप में कार्य किया। 2014 में उन्हें उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया और उसी वर्ष स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। वे दो बार कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश भी रहे।
न्यायमूर्ति चौहान ने बाल अधिकारों, वृद्धाश्रमों और मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों के कल्याण के लिए सराहनीय कार्य किए। ई-कोर्ट्स समिति के अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने न्यायालयों के डिजिटलीकरण को गति दी, जिससे ई-फाइलिंग, ई-गेट पास, ऑनलाइन भुगतान जैसी सेवाएं सुलभ हो सकीं। उन्होंने 75,000 से अधिक मामलों का निपटारा कर ‘अरियर्स क्रंचर’ की छवि बनाई।
मुख्य न्यायाधीश जी. एस. संधावालिया ने उनके अनुशासन, विनम्रता और विद्वता की सराहना की। कार्यक्रम का संचालन रजिस्ट्रार जनरल भूपेश शर्मा ने किया।
इस अवसर पर उच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीश, वरिष्ठ अधिवक्ता, बार सदस्य और अधिकारी उपस्थित रहे। न्यायमूर्ति चौहान को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया और उन्हें रेड कारपेट पर विदा किया गया।
