एआरबी टाइम्स ब्यूरो
शिमला। राज्य सरकार प्रदेश के स्वास्थ्य क्षेत्र को सुदृढ़ बनाने के लिए व्यवस्था परिवर्तन के तहत ठोस कदम उठा रही है। इसी दिशा में अब 606.70 करोड़ रुपये की एक व्यापक योजना के अंतर्गत 207.50 करोड़ रुपये विशेष रूप से डायग्नोस्टिक सेवाओं के सुदृढ़ीकरण पर खर्च किए जाएंगे। यह प्रयास प्रदेश के राजकीय स्वास्थ्य संस्थानों में विश्वस्तरीय एवं गुणवत्तापूर्ण सुविधाएं सुनिश्चित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के निर्देशानुसार स्वास्थ्य विभाग ने एक विस्तृत ब्लूप्रिंट तैयार किया है, ताकि सरकारी अस्पतालों में मरीजों को समय पर और सटीक डायग्नोसिस की सुविधा मिल सके। वर्तमान में कई अस्पतालों में उपयोग हो रही 15-20 वर्ष पुरानी मशीनें बीमारियों की सही पहचान में बाधक बन रही हैं।
मुख्यमंत्री के निर्देशों के अनुरूप अब प्रदेश के चिकित्सा महाविद्यालयों और प्रमुख अस्पतालों में अत्याधुनिक मशीनें स्थापित की जाएंगी। इनमें हाई-रेजोल्यूशन 1.5 टेसला और 3 टेसला एमआरआई मशीनें, अत्याधुनिक सीटी स्कैन, मोबाइल डिजिटल रेडियोग्राफी (डीआर) इकाइयां, कलर डॉपलर अल्ट्रासाउंड, मैमोग्राफी यूनिट, पीएसीएस सिस्टम, रेडियोलॉजी वर्कस्टेशन और पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीनें शामिल हैं।
आईजीएमसी शिमला, श्री लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज मंडी, डॉ. यशवंत सिंह परमार मेडिकल कॉलेज नाहन, मेडिकल कॉलेज चंबा और एम्स चमियाणा जैसे संस्थानों में ये उन्नत सुविधाएं जल्द उपलब्ध होंगी। शिमला के कमला नेहरू अस्पताल में भी पीएसीएस यूनिट स्थापित की जाएगी।
प्रवक्ता ने बताया कि राज्य सरकार 14 प्रमुख क्षेत्रों जैसे सिम्यूलेशन-आधारित प्रशिक्षण, कैंसर देखभाल, डिजिटल स्वास्थ्य और क्रिटिकल केयर पर भी फोकस कर रही है। इसका उद्देश्य न केवल प्रदेश के लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधा देना है, बल्कि उन्हें राज्य से बाहर इलाज के लिए जाने की आवश्यकता भी समाप्त करना है।
इस पहल से न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि चिकित्सा शिक्षा को भी मजबूती मिलेगी। यह स्वास्थ्य क्षेत्र में एक ऐतिहासिक बदलाव का संकेत है।
