एआरबी टाइम्स ब्यूरो
शिमला। हिमाचल प्रदेश में नगर निकाय चुनावों के आरक्षण रोस्टर को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। राज्य चुनाव आयोग ने शुक्रवार को सभी उपायुक्तों को स्पष्ट निर्देश दिए कि वे 15 जुलाई 2025 तक आरक्षण रोस्टर निर्धारित करें। आयोग ने चेताया है कि तय समयसीमा में निर्देशों का पालन न करने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है कि पहले आरक्षण रोस्टर तय करने की अंतिम तारीख 11 जुलाई थी। लेकिन शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव देवेश कुमार द्वारा अनुसूचित जाति, जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाता आंकड़ों की अनुपलब्धता का हवाला देकर रोस्टर स्थगित करने का आदेश दिया गया था। हालांकि राज्य चुनाव आयोग की कड़ी आपत्ति के बाद यह आदेश वापस ले लिया गया।
राज्य चुनाव आयोग ने अपने पत्र में स्पष्ट किया है कि हिमाचल प्रदेश म्यूनिसिपल एक्ट 1994 की धारा 281, म्यूनिसिपल इलेक्शन रूल्स 2015 की धारा 9 और 9ई, तथा 2012 की धारा 32 के अनुसार चुनाव प्रक्रिया में उपायुक्तों का पर्यवेक्षण और नियंत्रण पूरी तरह आयोग के अधीन है। आयोग ने कहा है कि आदेशों को हल्के में न लें, और 15 जुलाई तक सभी नगर निकायों के लिए आरक्षण रोस्टर अनिवार्य रूप से तैयार कर रिपोर्ट भेजें। अन्यथा आयोग को कठोर कदम उठाने पर विवश होना पड़ेगा।
