एआरबी टाइम्स ब्यूरो
रामपुर। राजकीय महाविद्यालय रामपुर के सभागार में वन अधिकार अधिनियम 2006 को लेकर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें रामपुर विकासखंड की 37 पंचायतों एवं वन अधिकार समितियों के प्रधानों और सचिवों ने भाग लिया। कार्यशाला की अध्यक्षता प्रदेश के राजस्व, बागवानी, जनजातीय विकास एवं जन शिकायत मंत्री जगत सिंह नेगी ने की।
मंत्री ने बताया कि अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वनवासी (एफसीए) अधिनियम 2006 के तहत वे व्यक्ति या समुदाय जो 13 दिसंबर 2005 से पूर्व कम से कम तीन पीढ़ियों (75 वर्ष) से वन भूमि पर निवास कर रहे हैं और अपनी आजीविका के लिए उस पर निर्भर हैं, उन्हें व्यक्तिगत, सामुदायिक तथा वन संसाधनों की सुरक्षा और प्रबंधन का अधिकार प्राप्त है।
उन्होंने कहा कि कानून के क्रियान्वयन हेतु ग्राम से लेकर राज्य स्तर तक समितियों का गठन आवश्यक है। ग्राम सभा में वन अधिकार समिति के गठन के लिए 50% वयस्कों की उपस्थिति और कम से कम 10 सदस्यों की भागीदारी, जिसमें एक-तिहाई महिलाएं शामिल हों, अनिवार्य है।
श्री नेगी ने यह स्पष्ट किया कि किसी भी परियोजना में वन भूमि के उपयोग से पहले वन अधिकारों की मान्यता प्रक्रिया पूर्ण की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि मान्यता पत्र केवल उन्हीं को प्रदान किया जाएगा जिनका पहला कब्जा 13 दिसंबर 2005 से पहले का हो और जो अन्य पात्रता शर्तों को भी पूरा करते हों।
मंत्री ने कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों से सीधा संवाद कर उनके सवालों का उत्तर दिया और शंकाओं का समाधान किया।
इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष एवं स्थानीय विधायक नंद लाल ने भी प्रतिभाग किया। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि पात्र व्यक्तियों के आवेदन समय पर लेकर उनकी जांच कर उचित लाभ सुनिश्चित किया जाए।
कार्यक्रम में एसडीएम रामपुर हर्ष अमरेन्द्र सिंह, डीएसपी नरेश शर्मा, खंड विकास अधिकारी राजेंद्र नेगी, तहसीलदार परीक्षित कुमार, प्रदेश इंटक उपाध्यक्ष बिहारी सेवगी, वन मंडलाधिकारी गुरहर्ष सिंह, पार्टी पदाधिकारी व सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
कार्यशाला के पश्चात राजस्व मंत्री ने पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय राजा वीरभद्र सिंह की पुण्यतिथि पर उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। इसके पश्चात उन्होंने जनजातीय बॉयज हॉस्टल का निरीक्षण कर वहां की सुविधाओं की समीक्षा की और लोगों की समस्याएं भी सुनीं।