Rampur Bushahr : वन अधिकार अधिनियम बना ननखड़ी के 47 ढारेवासियों की उम्मीद, दावा प्रस्तुत करने का लिया फैसला

एआरबी टाइम्स ब्यूरो

रामपुर बुशहर। ननखड़ी क्षेत्र में दशकों से वन भूमि पर बसे 47 अवैध कब्जाधारियों के लिए वन अधिकार अधिनियम (Forest Rights Act) राहत लेकर आ सकता है। हालांकि, वन विभाग ने इन सभी को 15 दिनों के भीतर भूमि खाली करने का नोटिस जारी किया है। यदि ये लोग एफआरसी (Forest Rights Committee) के समक्ष अपना दावा प्रस्तुत करते हैं, तो उन्हें बेदखली से राहत मिल सकती है।

तीन दिन पूर्व वन विभाग की ओर से ननखड़ी के 47 ढारेवासियों को नोटिस जारी कर 15 दिनों के भीतर ढारे खाली करने का निर्देश दिया गया था। इस आदेश के बाद प्रभावित परिवारों में भारी चिंता का माहौल है। अब ये सभी लोग संगठित होकर एफआरसी के माध्यम से दावा प्रस्तुत करने की योजना बना रहे हैं, क्योंकि यही एकमात्र कानूनी रास्ता उनके पास शेष है। वन विभाग ने भी स्पष्ट किया है कि यदि कोई व्यक्ति वन अधिकार अधिनियम, 2006 के तहत दावा करता है, तो उस पर तब तक कोई बेदखली कार्रवाई नहीं की जाएगी, जब तक कि उसके दावे पर अंतिम निर्णय नहीं आ जाता।

उल्लेखनीय है कि अगस्त 2024 में भी ननखड़ी क्षेत्र में 22 ढारे सील किए गए थे। इनमें से कुछ लोगों ने अदालत से राहत पाकर अपने ढारे दोबारा खोल लिए, जबकि अधिकांश अभी भी बंद पड़े हैं। वन अधिकार अधिनियम, 2006 के प्रावधानों के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति इस अधिनियम के लागू होने की निर्धारित तिथि से पहले वन भूमि पर आजीविका एवं पारिवारिक निर्वाह हेतु बसा हुआ है, तो उसे इस भूमि पर कानूनी अधिकार मिल सकता है। इसके लिए संबंधित व्यक्ति को एफआरसी के समक्ष दावा प्रस्तुत करना होगा। यदि एफआरसी उस दावे को उपयुक्त पाती है, तो मामला उपमंडल स्तर से जिलाधीश तक जाएगा। वहां से स्वीकृति मिलने पर संबंधित व्यक्ति को वैध स्वामित्व मिल सकता है।

वन मंडलाधिकारी रामपुर बुशहर, गुरहर्ष सिंह ने कहा कि जब तक एफआरसी में दायर दावों पर अंतिम निर्णय नहीं आता, तब तक किसी भी प्रकार की बेदखली की कार्रवाई नहीं की जाएगी।

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