Shimla: मजदूर-किसान हड़ताल को माकपा का समर्थन, श्रम कानूनों व कृषि संकट के खिलाफ 9 जुलाई को राष्ट्रव्यापी आंदोलन

एआरबी टाइम्स ब्यूरो

शिमला। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने 9 जुलाई को प्रस्तावित मजदूरों-किसानों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल को समर्थन देने की घोषणा की है। यह फैसला पार्टी की शिमला जिला कमेटी की बैठक में लिया गया। संयुक्त ट्रेड यूनियनों और संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर हो रही इस हड़ताल में देश की दस प्रमुख केंद्रीय ट्रेड यूनियनों, कर्मचारियों की कई राष्ट्रीय फेडरेशनों और किसानों के अनेक संगठनों की भागीदारी होगी।

पार्टी कार्यालय शिमला में आयोजित बैठक में राज्य सचिव संजय चौहान, राकेश सिंघा, विजेंद्र मेहरा, जगतराम, फालमा चौहान, देवकीनंद, अजय दुलटा, जयशिव ठाकुर सहित कई पदाधिकारी मौजूद रहे। बैठक की जानकारी देते हुए पार्टी जिला सचिव विजेंद्र मेहरा ने कहा कि यह हड़ताल मोदी सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों, चार लेबर कोड, निजीकरण, ठेका प्रथा, फिक्स टर्म रोजगार, न्यूनतम वेतन और किसानों की समस्याओं के खिलाफ जनआंदोलन का रूप लेगी।

उन्होंने कहा कि लेबर कोड लागू होने से 70% उद्योग और 74% मजदूर श्रम कानूनों के दायरे से बाहर हो जाएंगे। इससे मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा, रोजगार गारंटी और वेतन पर सीधा असर पड़ेगा। सरकार द्वारा आठ घंटे की बजाय बारह घंटे की ड्यूटी थोपना बंधुआ मजदूरी की ओर ले जाएगा।

पार्टी ने आंगनबाड़ी, आशा, मिड डे मील कर्मियों को सरकारी कर्मचारी घोषित करने, ₹26,000 न्यूनतम वेतन, मनरेगा में 600 रुपये दैनिक मजदूरी और 200 दिन रोजगार, ओपीएस बहाली, आउटसोर्स कर्मियों के लिए नीति, किसानों को एमएसपी गारंटी, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, महंगाई पर रोक, निजीकरण पर नियंत्रण जैसी कई मांगों को लेकर इस हड़ताल का समर्थन किया है।

पार्टी का आरोप है कि केंद्र सरकार पूरी तरह से कॉर्पोरेट व सांप्रदायिक गठजोड़ के पक्ष में काम कर रही है और आम जनता की सुविधाएं छीनी जा रही हैं। ऐसे में यह हड़ताल श्रमिकों और किसानों के हकों की रक्षा के लिए एक निर्णायक कदम होगा।

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