एआरबी टाइम्स ब्यूरो
शिमला। एस.टी.पी. कॉन्ट्रैक्ट वर्करज यूनियन, संबंधित सीटू का आठवां सम्मेलन शिमला के चितकारा पार्क स्थित किसान-मजदूर भवन में सम्पन्न हुआ। सम्मेलन में यूनियन के पदाधिकारियों के चुनाव के साथ-साथ सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) व नेटवर्क से जुड़े मजदूरों की समस्याओं और मांगों पर विस्तार से चर्चा की गई।
सम्मेलन का उद्घाटन सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने किया। इस अवसर पर जिला सचिव रमाकांत मिश्रा, कोषाध्यक्ष बालक राम, हिमी देवी, विवेक कश्यप, रंजीव कुठियाला, रामप्रकाश सहित बड़ी संख्या में मजदूर उपस्थित रहे।
चुने गए नए पदाधिकारी
सम्मेलन में दलीप सिंह को यूनियन का अध्यक्ष, पंकज शर्मा को महासचिव, धनेश कुमार को कोषाध्यक्ष, क्षितिज और उजागर को उपाध्यक्ष, रीना शर्मा और संदीप को सचिव चुना गया। इसके अलावा अशोक कुमार, सुभाष, सुनील, अंकुश, संजू, रोहित, पुष्पा, टेक चंद, राधेश्याम, अनिल, पारित, रविन्द्र, सीमा और रणजीत को कमेटी सदस्य नियुक्त किया गया।
प्रमुख मांगें
सम्मेलन को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने एसटीपी और नेटवर्क मजदूरों की निम्नलिखित प्रमुख मांगें रखीं:
समान काम का समान वेतन – सुप्रीम कोर्ट के 26 अक्तूबर 2016 के आदेश के अनुसार।
रेगुलर नियुक्ति – सुप्रीम कोर्ट के 12 मार्च 2024 के आदेश अनुसार।
अलग वेतन शेड्यूल और 40% अतिरिक्त वेतन, कार्य की कठिनाई को ध्यान में रखते हुए।
सभी एसटीपी फैक्ट्री एक्ट के अंतर्गत पंजीकृत हों।
सुरक्षा उपकरण – मैन्युअल स्कैवेंजर्स एक्ट 2013 और नेशनल सफाई आयोग की सिफारिशों के अनुसार।
एक्ट के उल्लंघन पर सुप्रीम कोर्ट के 27 मार्च 2014 के अनुसार कार्रवाई हो।
सभी मजदूरों को पहचान पत्र दिए जाएं।
चेंजिंग रूम, बाथरूम, लॉन्ड्री और टॉयलेट की व्यवस्था।
नेटवर्क मजदूरों के लिए भोजन व औजार रखने की व्यवस्था।
एसटीपी में पीने के पानी और एक्वागार्ड की सुविधा।
पुराने स्टाफ क्वार्टरों की मरम्मत व नए क्वार्टरों का निर्माण।
सर्दी-गर्मी के अनुसार दो यूनिफॉर्म सैट प्रतिवर्ष।
रिक्त पदों को तुरंत भरा जाए।
ईपीएफ व ईएसआई में सुधार और बकाया भुगतान।
महीने की 7 तारीख से पहले वेतन का भुगतान।
एसटीपी से निकलने वाली खाद को तुरंत हटाया जाए।
बोनस की सुविधा।
अर्जित, आकस्मिक, मेडिकल, राष्ट्रीय और त्यौहार छुट्टियां दी जाएं।
वार्षिक वेतनवृद्धि वरिष्ठता के आधार पर सुनिश्चित हो।
यह सम्मेलन मजदूरों की आवाज़ को एकजुटता के साथ उठाने और उनके अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।
