एआरबी टाइम्स ब्यूरो
शिमला। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने अनाथ बच्चों के कल्याण के लिए एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए उन्हें बोनाफाइड हिमाचली प्रमाण-पत्र का अधिकार प्रदान किया है। यह निर्णय उन अनाथ बच्चों के लिए लिया गया है, जो पिछले 15 वर्षों से हिमाचल प्रदेश के बाल देखभाल संस्थानों में रह रहे हैं। पूर्व में इस व्यवस्था के अभाव में ये बच्चे कल्याणकारी योजनाओं और रोजगार के अवसरों से वंचित रहते थे। मुख्यमंत्री ने 30 अक्तूबर, 2024 को शिमला स्थित बाल आश्रम टुटीकंडी के दौरे के दौरान इस समस्या को संज्ञान में लिया और उपायुक्त, शिमला को समाधान प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। समीक्षा के बाद, सरकार ने इन बच्चों को प्रमाण-पत्र जारी करने का निर्णय लिया, जिससे वे राज्य की योजनाओं और सुविधाओं का लाभ उठा सकें।
6,000 अनाथ बच्चों को ‘राज्य के बच्चे’ के रूप में कानूनी मान्यता
मुख्यमंत्री सुक्खू अनाथ बच्चों के कल्याण के प्रति संवेदनशील रहे हैं। उन्होंने पदभार ग्रहण करने के बाद सचिवालय जाने से पहले टुटीकंडी बाल आश्रम का दौरा किया और बच्चों से संवाद किया। उनके नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य बना, जिसने 6,000 अनाथ बच्चों को ‘राज्य के बच्चे’ के रूप में कानूनी मान्यता दी। इसी उद्देश्य से ‘मुख्यमंत्री सुखाश्रय योजना’ लागू की गई, जिसके तहत अनाथ बच्चों को शिक्षा, देखभाल और आर्थिक आत्मनिर्भरता सुनिश्चित की जा रही है। इस योजना में बच्चों को भारत भ्रमण, शैक्षिक यात्राएं, मासिक जेब खर्च, स्टार्टअप के लिए आर्थिक सहायता, आवास निर्माण के लिए 3 लाख तथा 3 बीघा भूमि प्रदान करने जैसी सुविधाएं शामिल हैं। 14 वर्ष तक के बच्चों को 1,000 रुपये, 15 से 18 वर्ष के बच्चों और एकल महिलाओं को 2,500 रुपये प्रतिमाह सहायता दी जा रही है। मुख्यमंत्री नियमित रूप से बाल देखभाल संस्थानों का दौरा कर बच्चों की स्थिति की समीक्षा करते हैं। अनाथ बच्चों को बोनाफाइड हिमाचली प्रमाण-पत्र देने का यह निर्णय उन्हें अन्य नागरिकों के समान अधिकार और अवसर प्रदान करने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण पहल है।