Rampur bushahr : दरकाली पंचायत में आस्था और उत्सव का संगम, दकनौल मेले में दिखा लोकसंस्कृति का उल्लास

एआरबी टाइम्स ब्यूरो 
रामपुर बुशहर। शिमला जिले की दरकाली पंचायत में आयोजित तीन दिवसीय दकनौल मेला शुक्रवार को परंपरागत देव विदाई के साथ संपन्न हो गया। अंतिम दिन मेले में स्थानीय लोक संस्कृति की छटा खूब बिखरी। देवता लक्ष्मी नारायण शालनू के मंदिर प्रांगण में नाटी का विशेष आयोजन हुआ, जिसमें कालेश्वर देवता के साथ आए देवलुओं और विदाई देने आई महिलाओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। शाम साढ़े छह बजे, देवता छिज्जा कालेश्वर, दरकाली से देवठी के लिए रवाना हुए। विदाई के समय बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।

वॉलीबाल में शाह, लोकनृत्य में महिला मंडल मराला प्रथम

मेले के अवसर पर युवक मंडल दरकाली की ओर से वॉलीबाल प्रतियोगिता भी आयोजित की गई। हालांकि लगातार बारिश के चलते एक सेमीफाइनल और फाइनल मुकाबले पूरे नहीं हो सके। आयोजकों ने पर्ची प्रणाली के ज़रिए विजेताओं का चयन किया। इसमें शाह, झाकड़ी (चंभू बॉयज) और संधोल (मंडी) की टीमें शामिल थीं। पहली पर्ची शाह के नाम निकली, जिसे विजेता घोषित किया गया। चंभू बॉयज झाकड़ी को दूसरा और संधोल मंडी की टीम को तीसरा स्थान मिला। खास बात यह रही कि शाह टीम के कप्तान विकास रोल्टा ने खेल भावना दिखाते हुए विजेता ट्रॉफी मंडी की टीम को सौंप दी। नकद पुरस्कार तीनों टीमों में बराबर बांटा गया, जिससे प्रतियोगिता में भाग लेने वाली सभी टीमों का उत्साह और सम्मान बना रहा। लोकनृत्य में महिला मंडल मराला ने प्रथम स्थान हासिल किया। शतरंज प्रतियोगिता में निखिल बदरेल पहले और भरत बदरेल दूसरे स्थान पर रहे।

समापन समारोह में विधायक व सातवें वित्तायोग अध्यक्ष नंदलाल ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। उन्होंने प्रतिभागियों को पुरस्कार वितरित किए और आयोजन की सराहना की। नंदलाल ने मौके पर कई विकासात्मक घोषणाएं कीं। उन्होंने युवक मंडल को ₹50,000 की अनुदान राशि, युवक मंडल भवन निर्माण के लिए ₹2 लाख, खेल मैदान के लिए ₹5 लाख, स्कूल के नए भवन को सुरक्षित रखने के लिए पुराने भवन को गिराने के निर्देश दिए और फुआल भाइयों के लिए शेड निर्माण की स्वीकृति दिए।

युवक मंडल के प्रधान सैनिक बदरेल ने बताया कि इस बार मेले में विशेष रूप से सांस्कृतिक संध्या का आयोजन भी किया गया, जो देवता छिज्जा कालेश्वर और फुआल भाइयों के सम्मान में थी। इसमें गायक दीवान शिवान ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुति दी और दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। मेला न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र रहा, बल्कि इसने स्थानीय खेल, लोकनृत्य, सांस्कृतिक गतिविधियों और सामुदायिक एकता को भी मजबूती प्रदान की।

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