एआरबी टाइम्स ब्यूरो
शिमला। भोग योजना के तहत जिले के पांच प्रमुख मंदिरों — तारा देवी, संकट मोचन, जाखू, हाटकोटी और भीमाकाली (सराहन) में अब भंडारा और प्रसाद तैयार करने की प्रक्रिया को सुरक्षित और नियंत्रित किया जाएगा। इस योजना का उद्देश्य श्रद्धालुओं को स्वच्छ और सुरक्षित भोजन उपलब्ध कराना है।
उपायुक्त अनुपम कश्यप की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में निर्णय लिया गया कि मंदिर प्रबंधन को FSSAI (भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण) के नियमों के तहत पंजीकरण व लाइसेंस प्राप्त करना अनिवार्य होगा।
भोग योजना के मुख्य बिंदु:
🔹 भोग (Blessful Hygienic Offering to God) के तहत अब सभी मंदिरों में पंजीकृत तरीके से ही भंडारा बनेगा।
🔹 रसोई में प्रवेश केवल मेडिकल सर्टिफिकेट प्राप्त व्यक्तियों को मिलेगा।
🔹 सीसीटीवी कैमरों से निगरानी, उपायुक्त कार्यालय शिमला से लॉगिन की व्यवस्था।
🔹 FSSAI के ऑनलाइन पोर्टल से लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया।
🔹 लाइसेंस प्राप्त मंदिरों का निरीक्षण थर्ड पार्टी ऑडिट एजेंसी द्वारा किया जाएगा।
लाइसेंस की शर्तें:
- सालाना ₹12 लाख से अधिक टर्नओवर वाले खाद्य कारोबारियों को लाइसेंस अनिवार्य।
- खाद्य सुरक्षा, स्वच्छता, अपशिष्ट प्रबंधन, पानी की गुणवत्ता जैसे मानकों का सख्ती से पालन।
बैठक में उपस्थित अधिकारी:
अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी (कानून व्यवस्था) पंकज शर्मा, अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी (प्रोटोकॉल) ज्योति राणा, एसडीएम ग्रामीण मंजीत शर्मा, सहायक आयुक्त देवी चंद ठाकुर, सहायक आयुक्त (FSSAI) धर्मेंद्र सहित कई गणमान्य अधिकारी बैठक में शामिल हुए।
