Kinnaur: सतयुग के बाद पहली बार जन्मस्थली के लिए रवाना हुए टेरस नारायण रूपी, 20 जून को होगा चौहकी महादेव से पुनर्मिलन

एआरबी टाइम्स ब्यूरो

रामपुर बुशहर। जिला किन्नौर की रूपी वैली के अराध्य देवता साहिब टेरस नारायण रूपी रविवार को अपनी जन्मस्थली और अपने भाई चौहकी महादेव से मिलने के लिए कुल्लू के लिए रवाना हो गए हैं। यह ऐतिहासिक यात्रा देव आज्ञा से सतयुग के बाद पहली बार हो रही है।

बताया जाता है कि सतयुग में टेरस नारायण रूपी पहली बार कुल्लू क्षेत्र की अपनी जन्मभूमि से रूपी आए थे और तभी से वहीं निवास कर रहे हैं। अब तक कभी भी वे अपनी जन्मभूमि नहीं लौटे थे, लेकिन देव संकेत मिलने पर इस वर्ष यह अनूठा आयोजन किया जा रहा है।

इस यात्रा के बारे में जानकारी देते हुए देवता के मोहतमीन करतार नेगी ने बताया कि देवता की अनुमति से उनके मोहरों को कुल्लू के चौहकी महादेव मंदिर ले जाया जा रहा है, जहां से देवता की उत्पत्ति मानी जाती है। यात्रा रविवार से शुरू हुई है, जो कंडे मार्गों (पहाड़ी रास्तों) से होकर 20 जून को चौहकी महादेव मंदिर पहुंचेगी।

यात्रा में 20 से अधिक ग्रामीण पैदल चलेंगे, जबकि अन्य श्रद्धालु 19 जून की रात को रवाना होकर 20 जून की सुबह कुल्लू में मिलन समारोह में शामिल होंगे। इस यात्रा में उसी मार्ग का चयन किया गया है, जिससे होकर देवता सतयुग में रूपी पहुंचे थे।

वापसी के बाद रूपी गांव में भव्य देव समारोह आयोजित किया जाएगा, जिसमें समस्त ग्रामीण व श्रद्धालु भाग लेंगे।

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