Rampur Bushahr : किसानों की जमीन बचाने के लिए सड़कों पर उतरे लोग

रामपुर में मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते किसान। 

एआरबी टाइम्स ब्यूरो 

रामपुर बुशहर निरमंड। हिमाचल किसान सभा और सेब उत्पादक संघ के संयुक्त आह्वान पर किसानों ने अपने अधिकारों के समर्थन में रामपुर और निरमंड में प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने प्रदेश सरकार की उस नीति का कड़ा विरोध किया, जिसके तहत उच्च न्यायालय के आदेशों की आड़ में गरीब और लघु किसानों की जमीन बेदखली और मकानों में तालाबंदी की जा रही है। प्रदर्शन विशेष रूप से उन किसानों और गरीब परिवारों के समर्थन में किया गया, जो अपनी आजीविका के लिए कृषि भूमि पर निर्भर हैं। वक्ताओं ने सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि यह नीति किसानों के हितों के विरुद्ध है और उनके जीवन-यापन के अधिकार को छीन रही है।

कुल्लू जिले के निरमंड में मांगों को लेकर अपना विरोध जताते किसान। 

जमीन छिन जाएगी तो कहां जाएंगे किसान 

हिमाचल किसान सभा के जिला अध्यक्ष प्रेम चौहान, महासचिव देवकी नंद, सेब उत्पादक संघ के सचिव पूर्ण ठाकुर, किसान सभा के जिला उपाध्यक्ष रणजीत ठाकुर, राजीव चौहान और कुलदीप डोगरा ने किसानों के साथ हो रहे अन्याय की निंदा की और सरकार से तुरंत इस पर रोक लगाने की मांग की। उन्होंने कहा कि सरकार गरीब और छोटे किसानों को बेदखल कर रही है, जो सरासर अन्याय है। इन किसानों के पास पहले से ही सीमित संसाधन हैं, और अब अगर उनकी जमीन भी छिन जाएगी, तो वे कहां जाएंगे। हम इस तानाशाही रवैये को बर्दाश्त नहीं करेंगे। सरकार को चाहिए कि वह अदालत में मजबूती से किसानों का पक्ष रखे और उन्हें बेदखली से बचाए। अगर सरकार ने जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो हमारा आंदोलन और उग्र होगा। हिमाचल के किसान विशेष रूप से सेब उत्पादक, पहले ही कठिन परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं। अब अगर उनकी जमीनें छिनी जाएंगी, तो उनका जीवनयापन असंभव हो जाएगा। 

समस्याओं का समाधान न हुआ तो तेज करेंगे आंदोलन 

प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि सरकार जल्द ही किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं करती, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। अगली बार यह प्रदर्शन प्रदेशव्यापी होगा, जिसमें राज्य के विभिन्न जिलों के किसान शामिल होंगे। एलान किया कि यदि सरकार बेदखली की प्रक्रिया नहीं रोकती, तो वे विधानसभा का घेराव करेंगे। प्रदर्शन में दुर्गा सिंह, रमेश कुमार, अनुराज, प्रेम, सुरजीत, ख्याला नंद, रूप लाल, श्याम लाल, अमर, सतीश, मुनि लाल, रोशना देवी, प्रेमा देवी, गीता देवी, शारदा देवी, सन्नी राणा, तुला राम, बाबू राम, हरदयाल, देवेंद्र, प्रदीप, दयाल, लाल सिंह, कुंदन, बलवीर, गुडु राम, अमित आदि शामिल थे।

सरकार को भेजा ज्ञापन, उठाई ये मांगें 

गरीब परिवारों और लघु किसानों की जमीन की बेदखली और मकानों की तालाबंदी को तुरंत रोका जाए। केंद्र सरकार वन संरक्षण अधिनियम, 1980 (FCA) में संशोधन कर वन भूमि को कृषि उपयोग के लिए बांटने का अधिकार राज्य सरकार को दे। गरीब व लघु किसानों के कब्जे वाली 5 बीघा तक की भूमि को नियमित किया जाए। प्रदेश में वन अधिकार अधिनियम, 2006 (FRA) को प्रभावी रूप से लागू कर अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वनवासियों को उनके वन अधिकार दिए जाएं। गरीब परिवारों को शहरी क्षेत्रों में 2 बिस्वा तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 3 बिस्वा जमीन घर बनाने के लिए दी जाए। प्रदेश में प्राकृतिक आपदा से प्रभावित किसानों को भूमि और आर्थिक सहायता तत्काल दी जाए। गरीब परिवारों के ढारों और आजीविका के अन्य साधनों को उजाड़ने की प्रक्रिया बंद की जाए।

 

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