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केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात करते हंगरंग-स्पीति के लोग। |
एआरबी टाइम्स ब्यूरो
रामपुर बुशहर। किन्नौर जिले के हंगरंग और स्पीति के लोग दिल्ली में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मिले और इस दौरान उन्होंने सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण लियो बाईपास सड़क को सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) को सौंपने की मांग की। इन लोगों का मानना था कि यदि इस सड़क को बीआरओ को सौंपा जाता है, तो युद्धस्तर पर इस पर काम होगा और इसका निर्माण शीघ्र पूरा किया जा सकेगा। इस मुलाकात में शामिल थे अंतर जिला महापंचायत के प्रधान संजय कुमार नेगी, सोनम दोरजे, पनमा दोरेज, छेमित बौद्ध उपप्रधान गियू पंचायत और शलखर पंचायत सदस्य पदमा। लोगों ने केंद्रीय मंत्री से कहा कि वर्ष 2005 में लियो बाईपास सड़क का काम सरकार ने पीडब्ल्यूडी को सौंपा था, लेकिन अब तक विभाग काम पूरा नहीं कर पाया। इस कारण क्षेत्रीय लोगों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
लियो बाईपास सड़क का सामरिक महत्व अत्यधिक है, क्योंकि यह किन्नौर के हंगरंग से लेकर लाहौल स्पीति के किब्बर गांव तक इंटरनेशनल बॉर्डर के पास स्थित है। यहां की सड़कों पर लगातार समस्याएं आती रहती हैं, जो सैनिकों और नागरिकों दोनों के लिए परेशानी का कारण बनती हैं। किन्नौर और लाहौल स्पीति क्षेत्र के इस हिस्से में भारत-चीन सीमा के करीब भारतीय सैनिकों की तैनाती रहती है, और उनकी आपूर्ति के लिए मुख्य रूप से नेशनल हाईवे 05 का उपयोग किया जाता है। लेकिन, मलिंग नाला, जो नाको और मलिंग गांव के बीच स्थित है, कई दशकों से बार-बार अवरुद्ध हो जाता है। यहां कच्चे पहाड़ों के गिरने की संभावना बनी रहती है, जो सड़कों को बाधित कर देता है और इससे आर्मी के लिए सामग्रियों की आपूर्ति में परेशानी आती है। मलिंग नाला की समस्या का स्थायी समाधान लियो बाईपास सड़क ही हो सकती है, क्योंकि इसके बनने से इस इलाके की दूरी लगभग 25 किलोमीटर कम हो जाएगी, जिससे समय और धन दोनों की बचत होगी।
सेना को भी रसद पहुंचाने में होगी आसानी
सैन्य बलों के लिए रसद आपूर्ति का यह मार्ग बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उनके कार्यों को सुगम बनाता है। मलिंग नाला की बार-बार होने वाली अवरोधितताओं के कारण, भारतीय सेना को अतिरिक्त बजट और समय खर्च करना पड़ता है, जो किसी भी सैन्य कार्रवाई में व्यवधान डाल सकता है। इसलिए लियो बाईपास सड़क का निर्माण न केवल सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह क्षेत्र की जनता के लिए भी एक बड़ी राहत साबित होगा। अंतर जिला महापंचायत के प्रधान संजय कुमार नेगी ने केंद्रीय मंत्री से आग्रह किया कि इस परियोजना को युद्धस्तर पर प्राथमिकता दी जाए, ताकि इस इलाके में यात्रा की स्थिति सुधर सके और सैनिकों को आपूर्ति में कोई समस्या न हो। उन्होंने कहा कि बीआरओ (सीमा सड़क संगठन) के पास युद्धक इलाके में काम करने का अनुभव और दक्षता है, जिससे यह कार्य तेजी से और गुणवत्तापूर्वक पूरा किया जा सकता है। केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने इस मुद्दे को गंभीरता से सुना और उन्होंने शीघ्र इस पर विचार करने का आश्वासन दिया।