Shimla: किसान सभा एवं सेब उत्पादक संघ ने कहा जमीनों से बेदखली अवैध

एआरबी टाइम्स ब्यूरो

शिमला। भूमि नियमितीकरण और अन्य मांगों को लेकर प्रदेश भर से आए हजारों किसानों और बागवानों ने राजधानी शिमला में जोरदार प्रदर्शन किया। किसान सभा और सेब उत्पादक संघ के नेतृत्व में निकाले गए जुलूस में प्रदर्शनकारियों ने पंचायत भवन से अंबेडकर चौक तक मार्च किया।

किसान नेता और शिमला के पूर्व विधायक राकेश सिंघा ने कहा कि बेदखली के आदेश नियमों की अवहेलना करके दिए जा रहे हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने बाबू राम बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य मामले में इन बेदखली आदेशों को अवैध माना है। बावजूद इसके, राज्य में बिना उचित प्रक्रिया के मकानों को सील किया जा रहा है, जिसमें नौतोड़ पॉलिसी के तहत स्वीकृत भूमि भी शामिल है।

किसान सभा के राज्याध्यक्ष डॉ. कुलदीप सिंह तँवर ने कहा कि हिमाचल में प्राकृतिक आपदाओं के कारण किसानों की भूमि नष्ट हो रही है। सरकार भूमि अधिग्रहण में उचित मुआवजा और पुनर्वास के प्रावधानों का पालन नहीं कर रही है।

सेब उत्पादक संघ के सह संयोजक संजय चौहान ने बताया कि 2000 में संशोधित भूमि राजस्व अधिनियम के तहत 1,67,339 किसानों ने भूमि नियमितीकरण के लिए आवेदन किया था, लेकिन अब भी उन्हें बेदखली के नोटिस दिए जा रहे हैं। साथ ही, वनाधिकार अधिनियम 2006 के प्रावधानों को लागू नहीं किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री का हस्तक्षेप

प्रदर्शन को बढ़ते देख मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी और शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने आश्वासन दिया कि किसी को भी भूमि से बेदखल नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्व एवं बागवानी मंत्री की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है जो इस मुद्दे का समाधान निकालेगी। सरकार सर्वोच्च न्यायालय में चल रहे गोदाबर्मन मामले में भी पक्षकार बनेगी।

प्रमुख मांगें

सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार जब तक बड़ी पीठ का गठन नहीं होता, सभी बेदखलियों पर रोक लगाई जाए।

1952 की अधिसूचना के प्रभावों की पुन: समीक्षा कर इसे वन संरक्षण अधिनियम 1980 से अलग किया जाए।

भूमिहीन किसानों को 5 बीघा कृषि भूमि प्रदान की जाए।

प्राकृतिक आपदा से प्रभावित किसानों को 10 बीघा तक भूमि दी जाए।

2023 की प्राकृतिक आपदा से प्रभावित लोगों को 7 लाख रुपये का राहत पैकेज दिया जाए।

भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 के अनुसार किसानों को 4 गुना मुआवजा दिया जाए।

वनाधिकार अधिनियम 2006 को प्रभावी रूप से लागू किया जाए।

सभी भूमिहीनों को ग्रामीण क्षेत्रों में 2 बिस्वा और शहरी क्षेत्रों में 3 बिस्वा भूमि दी जाए।

सड़क किनारे स्टॉल लगाने वालों की बेदखली रोकी जाए और इसके लिए नीति बनाई जाए।

सिरमौर में शामलात भूमि नियमों में संशोधन कर छोटे किसानों को अधिक भूमि उपलब्ध करवाई जाए।

आगे की रणनीति
किसान सभा और सेब उत्पादक संघ ने 28 अप्रैल को उपमंडल, खंड और तहसील स्तर पर प्रदर्शन करने की घोषणा की है।

 

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