एआरबी टाइम्स ब्यूरो
शिमला। मिड डे मील वर्करज़ यूनियन से सम्बद्ध सीटू का हिमाचल प्रदेश राज्य सम्मेलन चितकारा पार्क, कैथू स्थित किसान मजदूर भवन में सम्पन्न हुआ। सम्मेलन में 39 सदस्यीय राज्य कमेटी का गठन किया गया, जिसमें संदीप कुमार को अध्यक्ष, शांति देवी को महासचिव और सपना को कोषाध्यक्ष चुना गया। इसके अतिरिक्त कई उपाध्यक्ष, सचिव और सदस्यों की भी नियुक्तियां की गईं।
सम्मेलन को सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, महासचिव प्रेम गौतम, उपाध्यक्ष जगत राम तथा यूनियन की राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष हिमी देवी सहित अन्य नेताओं ने संबोधित किया। नेताओं ने मिड डे मील कर्मियों की दयनीय हालत पर चिंता जताते हुए बताया कि प्रदेश में कार्यरत करीब 21,000 कर्मियों को मात्र ₹5000 मासिक वेतन दिया जाता है, जो समय पर भी नहीं मिलता।
मुद्दे और माँगें:
वेतन की स्थिति:
कर्मियों को कई महीने तक वेतन नहीं मिलता, और केंद्र व राज्य सरकार की हिस्सेदारी समय पर अदा नहीं की जाती।न्यायालय के आदेश की अवहेलना:
उच्च न्यायालय की 2019 और 2024 की बेंचों द्वारा दिए गए 12 महीने वेतन भुगतान के आदेश को सरकार ने अब तक लागू नहीं किया है। इसके विरुद्ध सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।कार्यस्थल की समस्याएं:
मिड डे मील कर्मियों को कोई छुट्टी नहीं दी जाती। बीमारी या पारिवारिक जरूरत पर छुट्टी लेने के लिए उन्हें खुद रिलीवर की व्यवस्था करनी पड़ती है, जिसकी मजदूरी भी कर्मियों को खुद देनी पड़ती है।अतिरिक्त कार्य:
लिखित आदेशों के बावजूद कर्मियों से रसोई कार्य के अलावा किचन गार्डन, झाड़ियाँ काटने, सफाई जैसे कार्य भी करवाए जाते हैं, जिनका कोई अतिरिक्त भुगतान नहीं किया जाता।
मुख्य मांगें:
उच्च न्यायालय के निर्णय को तुरंत लागू किया जाए।
वेतन भुगतान हर माह की पहली तारीख को सुनिश्चित किया जाए।
कर्मियों को वेतन स्लिप प्रदान की जाए।
एक वर्ष में कम से कम 20 छुट्टियां दी जाएं।
आंगनबाड़ी व आशा कर्मियों की तर्ज पर दो वर्दियां प्रतिवर्ष दी जाएं।
चुनाव कार्य के लिए यदि सेवा ली जाए तो उसका अलग से भुगतान हो।
महिला कर्मियों को रक्षाबंधन, करवाचौथ व भाई दूज की छुट्टियां वेतन सहित मिलें।
स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ने पर अतिरिक्त मिड डे मील कर्मियों की नियुक्ति की जाए।
कम बच्चों वाले स्कूलों को मर्ज करने की स्थिति में कर्मियों का नजदीकी स्कूलों में समायोजन सुनिश्चित किया जाए।
आगामी आंदोलन:
मोदी सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों और चार लेबर कोड्स के विरोध में 9 जुलाई को राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया गया है।