शिमला। बागवानी एवं राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता में एचपी शिवा परियोजना की गवर्निंग काउंसिल की तीसरी बैठक में कुल मिलाकर 66 एजेंडा आइटम्स पारित किए गए। परियोजना की कुल लागत 1,292 करोड़ रुपये है, जिसमें से 1,030 करोड़ रुपये एशियन विकास बैंक के ऋण और 262 करोड़ रुपये राज्य सरकार के भागीदारी अंशदान के रूप में शामिल हैं। अब तक परियोजना पर 190 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं।
परियोजना के तहत सात जिलों में चार हज़ार हेक्टेयर भूमि पर सोलर फेंसिंग का कार्य प्रस्तावित है। मंत्री ने सूचित किया कि जून 2025 तक 2,750 हेक्टेयर पर फेंसिंग पूरी करने का लक्ष्य है। वर्तमान में 828 हेक्टेयर पर कार्य पूर्ण हो चुका है। उन्होंने फर्मों को समयबद्धता से कार्य पूरा करने के निर्देश दिए और कहा कि देर होने पर अनुबंधानुसार पेनल्टी लागू की जाए। मंत्री ने यह भी कहा कि नौणी विश्वविद्यालय फरवरी 2026 तक 40,000-40,000 प्लम व जापानी फल के पौधे किसानों को उपलब्ध कराएगा, जबकि वर्ष 2027 तक कुल 1 लाख पौधे वितरित होंगे। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि ब्रांडेड जल विघटनशील उर्वरक एवं कीटनाशकों की खरीद के लिए निविदा प्रक्रिया शुरू की जाएगी। एचपीएमसी के सहयोग से अत्याधुनिक स्प्रे किट, पंप एवं अन्य उपकरणों की खरीद पर भी मंजूरी दी गई।
डीजीए इस परियोजना के एकीकृत डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के निर्माण पर भी चर्चा हुई, जिसमें 75 एआई-आधारित सेवाएं जैसे पौध सुरक्षा, रोग प्रबंधन, मिट्टी जांच, नमी स्तर मॉनिटरिंग, मौसम सूचना, उत्पादन ट्रेसिंग व विपणन सहायता उपलब्ध करवाई जाएंगी। साथ ही, क्लस्टर किसानों को उनके उत्पादन पर मिलने वाले कार्बन क्रेडिट का लाभ भी सुनिश्चित किया जाएगा। मंत्री ने ड्रिप सिंचाई कार्यों की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए नियमित निरीक्षण कराए जाने और देरी करने वाली फर्मों पर तत्काल पेनल्टी लगाने के निर्देश जारी किए।
