
एआरबी टाइम्स ब्यूरो
शिमला। हिमाचल प्रदेश में अब पंचायतों में विकास कार्यों के लिए इस्तेमाल होने वाले रेत, बजरी और पत्थरों के टेंडर विकास खंड अधिकारी (बीडीओ) आमंत्रित करेंगे। पहले यह जिम्मेदारी पंचायत प्रतिनिधियों के पास होती थी। इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य पंचायतों में विकास कार्यों में पारदर्शिता लाना और सार्वजनिक धन के दुरुपयोग को रोकना है।
इस नई व्यवस्था के तहत, प्रत्येक ब्लॉक स्तर पर एक कमेटी गठित की जाएगी, जिसकी अगुवाई सुपरिटेंडेंट करेंगे। इस कमेटी में अकाउंटेंट, कनिष्ठ अभियंता और दो पंचायत प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। यह कमेटी बाजार में रेत, बजरी और पत्थरों की कीमतों का आकलन करेगी। इसके बाद, कार्यों से संबंधित टेंडर आमंत्रित किए जाएंगे। टेंडर केवल उन्हीं वेंडरों को मिलेंगे जो कमेटी द्वारा निर्धारित दरों से कम कीमत पर सामग्री उपलब्ध कराने की पेशकश करेंगे।
निदेशालय की ओर से इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई है। हिमाचल प्रदेश में कुल 3,615 पंचायतें हैं, जहां मनरेगा, 15वें वित्त आयोग, विधायक निधि, सांसद निधि और बैकवर्ड सब प्लान जैसी विभिन्न योजनाओं के तहत विकास कार्य करवाए जाते हैं। इन कार्यों में भूमि सुधार, डंगा निर्माण, फुटपाथ निर्माण, गोशाला निर्माण, पेवर वर्क, सड़क निर्माण और क्रेट वर्क जैसे कार्य शामिल हैं।
अब इन सभी विकास कार्यों के लिए आवश्यक सामग्री की खरीद के लिए टेंडर पंचायत प्रतिनिधि अपने स्तर पर नहीं बुला सकेंगे। निदेशालय ने बीडीओ को यह जिम्मेदारी सौंपी है। ब्लॉक स्तर पर गठित संयुक्त कमेटी बाजार दर और ढुलाई लागत को जोड़कर अंतिम दर निर्धारित करेगी। बीडीओ द्वारा आमंत्रित टेंडर में सबसे कम बोली लगाने वाले वेंडर को ही सामग्री आपूर्ति का ठेका दिया जाएगा।
