भारतीय ट्रैड यूनियनों ने किया केंद्रीय बजट का विरोध, रामपुर हुए प्रदर्शन

एआरबी टाइम्स ब्यूरो

भारतीय ट्रैड यूनियन के आह्वान पर रामपुर में किसान सभा और सीटू ने केंद्रीय बजट के विरोध में रामपुर में अलग अलग प्रदर्शन किए।  बजट में परमाणु ऊर्जा एवं कृषि जैसे संवेदनशील क्षेत्र को भी कॉर्पोरेट हाथों में सौंपने की बात कही गई है और बीमा व बिजली क्षेत्र के निजीकरण में भी, 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की इजाजत देने का प्रस्ताव है।

सीटू जिला सचिव अमित ने कहा कि प्रोत्साहन, छूट और राहत के कारण कॉर्पोरेट मुनाफे में 15 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंचने के बावजूद न तो निजी निवेश बढ़ा और न ही रोजगार सृजन हुआ। आम जनता की खर्च करने की क्षमता बढ़ाने के लिए अधिक से अधिक रोजगार सृजनकारी सार्वजनिक और निजी निवेश की आवश्यकता है। आयकर देने वाले कुछ लोगों को थोड़ी राहत देने से पूरा परिदृश्य नहीं बदलेगा।

उन्होंने कहा कि राजकोषीय घाटे को कम करने का बहुप्रचारित दावा भी भ्रामक है। कल्याणकारी और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं पर बजट आवंटन को कम किया जा रहा है, बजटीय व्यय सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात के रूप में घटकर मात्र 14.2% रह जाएगा, जिससे जनता का हाशिए पर पड़ा वर्ग और भी अधिक दयनीय स्थिति में पहुंच जाएगा, रोजगार असमानता और गहरी हो जाएगी।।

उन्होंने कहा कि बजट में कृषि और संबद्ध गतिविधियों, ग्रामीण रोजगार, मनरेगा, सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण, रेलवे बजट, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना, मिड-डे-मील  और खाद्य सब्सिडी पर हजारों करोड रुपये की भारी कटौती की गई है। 

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की मांग के अनुसार, बजट में किसानों के लिए वैधानिक एमएसपी, शहरी रोजगार गारंटी योजना, सार्वजनिक और सरकारी क्षेत्र में रोजगार सृजन के लिए कदम, असंगठित, अनुबन्धित, अनौपचारिक और ठेका श्रमिकों के लिए ठोस सुझाव, स्कीम वर्करों के लिए एवं सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने, ईपीएफ के तहत पेंशन में बढ़ोतरी, पेट्रोलियम उत्पाद शुल्क दरों में कटौती के संबंध में कोई घोषणा नहीं की गई। बल्कि वर्करों के कल्याण और न्याय के नाम पर केवल ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकरण का प्रस्ताव दिया गया है। जीएसटी कानून में संशोधन के जरिए आवश्यक खाद्य वस्तुओं, दवाओं, चिकित्सा उपकरणों और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर जीएसटी न लगाने की मांग पर भी कोई ध्यान नहीं दिया गया है। अति अमीरों पर संपत्ति कर और उत्तराधिकार कर नहीं लगाया गया है, बल्कि कॉर्पोरेट्स को उत्पादन के लिए प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान और वैधानिक प्रावधानों के उल्लंघन को अपराधमुक्त घोषित किया जा रहा है।

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