एआरबी टाइम्स ब्यूरो
शिमला। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिक्षक कल्याण संघ (हपुटवा) के आह्वान पर विश्वविद्यालय के कुलपति कार्यालय के बाहर शिक्षकों ने धरना दिया। जिसमें विश्वविद्यालय के समस्त शिक्षकों ने भाग लिया। यह प्रदर्शन सरकार और प्रशासन की उदासीनता के खिलाफ था।
धरने को संबोधित करते हुए प्रो. संजय शर्मा ने तीखा प्रहार करते हुए कहा, “यह कैसा व्यवस्था परिवर्तन है जिसमें सभी वर्गों के कर्मचारी – चाहे वो वोकेशनल टीचर हों, बिजली बोर्ड के कर्मचारी हों, सचिवालय कर्मी हों या शिक्षक सभी सड़कों पर उतरने को मजबूर हैं। यह प्रदेश की सच्चाई है कि कर्मचारी वर्ग आज प्रताड़ना झेल रहा है।
डॉ. राजेश ने सरकार की दोहरी नीति की निंदा करते हुए कहा कि शिक्षकों की पदोन्नति रोकने का तर्क आर्थिक तंगी बताया जा रहा है, जबकि विधायकों के वेतन बढ़ाए जा रहे हैं।
डॉ. जोगिंदर सकलानी ने सरकार को चेतावनी दी कि सातवें वेतन आयोग के तहत लंबित एरियर और 11% डीए का तुरंत भुगतान किया जाए। जबकि उच्च प्रशासनिक पदों पर बैठे लोग अपने प्रमोशन और फायदे समय पर ले लेते हैं, शैक्षणिक वर्ग को दरकिनार किया जा रहा है।
संघ के अध्यक्ष डॉ. नितिन व्यास ने कहा, “शिक्षकों के लिए प्रस्तावित आवासीय भवनों का निर्माण वर्षों से रुका हुआ है, जबकि यूजीसी की ‘मेरु’ योजना के तहत पर्याप्त फंड उपलब्ध है।”
महासचिव अंकुश भारद्वाज ने विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली को राजनीति से ग्रस्त बताया। उन्होंने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक प्राध्यापक को अपनी प्रमोशन के लिए भी सड़कों पर उतरना पड़ रहा है। और कहा कि यदि मांगें नहीं मानी गईं, तो जल्द ही क्रमिक अनशन किया जाएगा।
प्रमुख मांगे:
अधिनियम 2010 एवं 2018 के तहत समयबद्ध कैरियर एडवांसमेंट स्कीम (कैस) प्रमोशन लागू किया जाए।
सातवें वेतन आयोग (2016) के तहत लंबित वेतन वृद्धि और 11% डीए का शीघ्र भुगतान हो।
शिक्षकों हेतु नए आवासीय भवनों का निर्माण तत्काल शुरू किया जाए।
डीन रिसर्च का रिक्त पद शीघ्र भरा जाए।
विश्वविद्यालय व महाविद्यालय शिक्षकों की सेवानिवृत्ति आयु 60 से बढ़ाकर 65 वर्ष की जाए।
डॉ. अशोक बंसल ने बताया कि ‘मेरु’ योजना के तहत मिले 100 करोड़ रुपये विश्वविद्यालय प्रशासन खर्च नहीं कर रहा, जो संसाधनों की बर्बादी है।
इस धरने में विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति सहित कई वरिष्ठ प्राध्यापक उपस्थित रहे। हपुटवा ने स्पष्ट किया कि यदि मांगें पूरी नहीं हुईं, तो आंदोलन और अधिक उग्र होगा।
धरने में विश्वविद्याल के पूर्व कुलपति, डायरेक्टर ज्योति प्रकाश, ट्राइबल स्टडी चंद्रमोहन परशिरा, प्रो. हरि सिंह, प्रो. शशिकांत शर्मा , प्रो. विकास डोगरा, डॉ योगराज उपाध्यक्ष , डॉ अनिल कुमार , डॉ सनी अटवाल,डॉ सुनीत, डॉ मृदुला, डा. रितिका, डा नीलम, डा मृदुला, डॉ राम लाल, डा. डॉ राजेश,डॉ राकेश, डा. सुरेंद्र,डॉ योगराज, डा अनिल, प्रीति कंवर, डॉ गौरव आदि प्राध्यापक उपस्थित रहे।