एआरबी टाइम्स ब्यूरो
रिकांगपिओ। हिमाचल प्रदेश 108 एवं 102 एंबुलेंस कर्मचारी यूनियन, संबंधित सीटू ने 27 मई की रात आठ बजे से शुरू हुई एक दिन की हड़ताल को पूरी तरह सफल बताया है। श्रम कानूनों के उल्लंघन, न्यूनतम वेतन, एफसी कर्मचारियों की प्रताड़ना और अन्य मांगों को लेकर की गई इस हड़ताल के दौरान प्रदेशभर में 108 व 102 एंबुलेंस सेवाएं पूर्णतः ठप रहीं।
किन्नौर जिला मुख्यालय रिकांगपिओ में यूनियन द्वारा जोरदार प्रदर्शन किया गया। यूनियन नेतृत्व ने सभी ड्राइवरों और ईएमटी (इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन) को हड़ताल को सफल बनाने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।
सीटू प्रदेश महासचिव प्रेम गौतम, सीटू नेता विवेक कश्यप, यूनियन जिला अध्यक्ष प्रियंका नेगी, महासचिव सुजाता नेगी, कोषाध्यक्ष आशीष, उपाध्यक्ष शांता कुमार, विद्या चंद, सह सचिव सोनम दौरजे व दीपक ने आरोप लगाया कि एनएचएम के अंतर्गत मेडस्वेन फाउंडेशन के तहत कार्यरत सैंकड़ों कर्मचारी भीषण शोषण का शिकार हो रहे हैं।
इन कर्मचारियों को न तो न्यूनतम वेतन मिलता है, न ओवरटाइम का भुगतान किया जाता है। 12 घंटे काम लेने के बावजूद इन्हें वेतन अधूरा मिलता है। उच्च न्यायालय, लेबर कोर्ट, सीजीएम कोर्ट शिमला और श्रम विभाग के आदेशों के बावजूद कई वर्षों से हालात नहीं बदले हैं। यूनियन नेताओं को आवाज उठाने पर मानसिक प्रताड़ना, तबादला और इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
मुख्य मांगें:
न्यूनतम वेतन का भुगतान तुरंत सुनिश्चित किया जाए।
12 घंटे ड्यूटी पर डबल ओवरटाइम वेतन दिया जाए।
सभी कर्मचारियों को नियमानुसार छुट्टियां दी जाएं।
गाड़ी की मरम्मत या बीमा के समय वेतन में कटौती न हो।
हाई कोर्ट, लेबर कोर्ट व श्रम विभाग के आदेश तत्काल लागू किए जाएं।
यूनियन नेताओं की प्रताड़ना बंद हो, अनुच्छेद 19 और 21 के तहत मिले अधिकारों की रक्षा की जाए।
तबादले रद्द किए जाएं और ईपीएफ, ईएसआई की खामियों को दुरुस्त किया जाए।
बेसिक सैलरी में सुधार हो।
जीवीके ईएमआरआई से छंटनी भत्ता, ग्रेच्युटी व अन्य लाभों का भुगतान किया जाए।
सेवा निरंतरता या कानूनी एरियर का भुगतान सुनिश्चित हो।
यूनियन ने चेताया है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो भविष्य में बड़ा आंदोलन किया जाएगा।