एआरबी टाइम्स ब्यूरो
शिमला। थाईलैंड के बैंकॉक शहर में 7 से 12 अप्रैल 2025 तक आयोजित फर्स्ट थाईलैंड किक बॉक्सिंग वर्ल्ड कप में जिला शिमला के चिढ़गांव क्षेत्र की बेटियों दीक्षिता शिलाल और सनिका लल्टवान ने शानदार प्रदर्शन करते हुए देश, प्रदेश और अपने क्षेत्र का नाम रोशन किया। दीक्षिता शिलाल ने माइनस 56 किलोग्राम श्रेणी में सिल्वर पदक और सनिका लल्टवान ने उसी श्रेणी में कांस्य पदक जीता।
बुधवार को दोनों खिलाड़ियों ने उपायुक्त अनुपम कश्यप से उनके कार्यालय में भेंट की। उपायुक्त ने उन्हें सम्मानित करते हुए कहा कि ये बेटियां पूरे हिमाचल प्रदेश के युवाओं के लिए प्रेरणा हैं। उन्होंने कहा कि खेलों के माध्यम से युवाओं को पहचान मिलती है और वे नशे जैसी सामाजिक बुराइयों से दूर रहते हैं। उपायुक्त ने दोनों खिलाड़ियों को पूर्ण सहयोग का आश्वासन देते हुए कहा कि जिला प्रशासन की ओर से चलाए जा रहे नशा विरोधी अभियान में उन्हें अहम भूमिका दी जाएगी।
सनिका लल्टवान, निवासी गांव संधाड़ी ने वर्ष 2016 में वुशू खेल से अपनी शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने ताइक्वांडो और किक बॉक्सिंग में कई उपलब्धियां हासिल कीं। उन्होंने 2023 में खेलो इंडिया शिलारू में स्वर्ण पदक, जिला किक बॉक्सिंग सुंदरनगर में स्वर्ण पदक, जालंधर प्रतियोगिता में सहभागिता तथा 2025 में दिल्ली में आयोजित इंटरनेशनल किक बॉक्सिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने बीए की पढ़ाई संजौली कॉलेज से की है।
दीक्षिता शिलाल, निवासी गांव डिसवानी, ने 2014 से किक बॉक्सिंग में भाग लेना शुरू किया। उन्होंने जिला मंडी और शिमला की प्रतियोगिताओं में सिल्वर पदक जीते। 2019 में उन्होंने राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण पदक हासिल किया। 2020 और 2022 में गोवा में नेशनल लेवल पर सिल्वर पदक प्राप्त किए। 2023 में खेलो इंडिया शिलारू में स्वर्ण और 2024 में गोवा में कांस्य पदक जीता। 2025 में वे भारत की पहली ऐसी खिलाड़ी बनीं जिन्होंने गाला फाइट में स्वर्ण पदक और बेल्ट हासिल की।
खेलों के प्रति अपने जुनून को आगे बढ़ाते हुए, सनिका और दीक्षिता ने चिढ़गांव में हिमालयन वाॅरियर मार्शल आर्ट्स एकेडमी की स्थापना की है। एकेडमी का उद्देश्य स्कूली स्तर से बच्चों को खेलों के प्रति प्रेरित करना और नशे से दूर रखना है। उन्होंने अभिभावकों से अपील की कि वे अपने बच्चों को खेलों की ओर प्रोत्साहित करें। दोनों ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, कोच वीरेंद्र जगिता और डॉ. संजय यादव को दिया। उन्होंने बताया कि उनके कोच ने उन्हें आगे बढ़ने के लिए हमेशा प्रेरित किया और आवश्यक संसाधनों में सहायता भी प्रदान की।