एआरबी टाइम्स ब्यूरो
शिमला। हिमाचल प्रदेश में सड़क निर्माण की गुणवत्ता को लेकर सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। प्रदेश में सड़क टारिंग के काम में यदि कोई गड़बड़ी पाई जाती है तो संबंधित ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट किया जाएगा। इसके साथ ही कार्य की गुणवत्ता सुनिश्चित न करने पर कनिष्ठ और अधिशासी अभियंताओं पर भी कार्रवाई की जाएगी। प्रदेश सरकार ने इस वर्ष 2,000 किलोमीटर सड़कों की टारिंग का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए लोक निर्माण विभाग को पहले ही टेंडर जारी किए जा चुके हैं। 20 मार्च से टारिंग का कार्य शुरू कर दिया गया है, जो अगस्त तक पूरा किया जाना है। कार्य के दौरान ब्लैक स्पॉट्स को ठीक करने, वर्षा जल निकासी के लिए नालियों की मरम्मत और क्षतिग्रस्त सड़कों को भी दुरुस्त किया जाएगा।
सरकार ने निर्देश दिए हैं कि टारिंग के समय कनिष्ठ और अधिशासी अभियंता मौके पर मौजूद रहें। इन इंजीनियरों को फील्ड में रहकर काम की गुणवत्ता की निगरानी करनी होगी। यदि किसी भी स्तर पर लापरवाही पाई गई, तो अभियंताओं के खिलाफ भी सख्त कदम उठाए जाएंगे। विभाग ने कुल्लू, बिलासपुर, हमीरपुर, ऊना, सोलन, शिमला और चंबा जिलों को टारिंग व मरम्मत कार्यों में प्राथमिकता दी है। वर्तमान में प्रदेश का मौसम साफ है और अधिकतम तापमान 25 डिग्री से ऊपर चल रहा है, जो टारिंग कार्य के लिए अनुकूल माना जा रहा है। लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि सरकार सड़कों की गुणवत्ता को लेकर कोई समझौता नहीं करेगी। बीते वर्ष भी 85 ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी। इस बार भी कार्य में लापरवाही या निर्धारित मानकों की अनदेखी करने वालों को किसी भी सूरत में नहीं बख्शा जाएगा।