Shimla : न्यूनतम बस किराया दोगुना, माकपा ने दी आंदोलन की चेतावनी

एआरबी टाइम्स ब्यूरो

शिमला। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने न्यूनतम बस किराया ₹5 से बढ़ाकर ₹10 करने की निंदा की है। पार्टी ने इस 100% वृद्धि को जनविरोधी बताया है और मांग की है कि राज्य सरकार इसे तुरंत वापस ले। इससे पहले भी एचआरटीसी ने स्कूल बसों के किराए में 50% की वृद्धि की थी। चेतावनी दी है कि यदि सरकार यह निर्णय वापिस नहीं लेती, तो पार्टी जनता को लामबंद कर प्रदेशव्यापी आंदोलन किया जाएगा।

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के राज्य सचिव संजय चौहान ने कहा कि प्रदेश में रेलवे और अन्य परिवहन विकल्पों की कमी के चलते बस सेवा ही आम जनता का प्रमुख साधन है। इस वृद्धि से विशेष रूप से किसान, मजदूर, छात्र, कर्मचारी, महिलाएं और युवा प्रभावित होंगे। रोजाना सफर करने वालों को, जिनमें दिहाड़ी मजदूर, स्कूली बच्चे और कामकाजी महिलाएं शामिल हैं, अब छोटी दूरी के लिए भी दोगुना किराया देना होगा। सरकार ने यह निर्णय प्रदेश के आर्थिक संकट और एचआरटीसी के घाटे को दूर करने के नाम पर लिया है, परंतु असल समस्या नवउदारवादी नीतियों और परिवहन के निजीकरण की है। एचआरटीसी की बसें और रूट लगातार कम हो रहे हैं, जबकि निजी ऑपरेटरों को मुनाफे वाले रूट दिए जा रहे हैं। वर्तमान में एचआरटीसी के पास मात्र 2573 रूट और 3150 बसें हैं, जबकि निजी ऑपरेटरों की करीब 8300 बसें सड़कों पर हैं। किराया वृद्धि से शहरी क्षेत्रों विशेषकर शिमला जैसे शहरों में यातायात और प्रदूषण की समस्याएं और बढ़ेंगी, क्योंकि लोग निजी वाहनों को प्राथमिकता देंगे। उन्होंने सरकार से मांग की है कि वह कल्याणकारी राज्य की जिम्मेदारी निभाते हुए यह जनविरोधी निर्णय वापिस ले और एचआरटीसी जैसे सार्वजनिक संस्थानों को सशक्त बनाए। विश्वभर में परिवहन के निजीकरण के नकारात्मक परिणाम देखे गए हैं, जिसके चलते कई देश अब परिवहन सेवाएं फिर से सार्वजनिक क्षेत्र में ला रहे हैं। कई शहरों में तो ये सेवाएं मुफ्त भी उपलब्ध करवाई जा रही हैं।

 

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