एआरबी टाइम्स ब्यूरो
बिलासपुर। पट्टा रणोतां गांव में एक शादी समारोह की खुशियां अचानक मातम में बदल गईं। रणोतां गांव निवासी जगत राम (55) के बड़े बेटे की शादी धूमधाम से चल रही थी। घर में डीजे की धुन पर रिश्तेदार और मेहमान झूम रहे थे। इसी दौरान रात करीब 11:30 बजे दूल्हे के पिता जगत राम भी डीजे पर नाचते हुए जश्न में शामिल हुए, लेकिन अचानक उन्हें पेट और छाती में तेज दर्द महसूस हुआ। परिजन तुरंत उन्हें भराड़ी अस्पताल लेकर भागे, लेकिन रास्ते में ही उनकी मृत्यु हो गई। अस्पताल पहुंचते ही डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। माना जा रहा है कि उन्हें हार्ट अटैक आया था। हालांकि, मृत्यु का कारण मेडिकल रिपोर्ट के बाद ही स्पष्ट होगा।
घटना के बाद माहौल पूरी तरह गमगीन हो गया। रीति-रिवाजों के अनुसार सीमित लोगों की उपस्थिति में बारात भेजी गई और विवाह की रस्में पूरी की गईं। हालांकि, दुखद हालात के कारण दुल्हन को फिलहाल ससुराल नहीं लाया गया है।
डीजे का तेज शोर : जब जश्न बन जाए जानलेवा खतरा
डीजे की धुनें शादियों और उत्सवों में उत्साह और उमंग भर देती हैं, लेकिन इसका तेज शोर (High Decibel Sound) शरीर और मन दोनों के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। खासकर हृदय रोग, उच्च रक्तचाप या तनाव से ग्रसित व्यक्तियों के लिए डीजे का अत्यधिक शोर जानलेवा साबित हो सकता है।
डीजे के तेज शोर के संभावित दुष्परिणाम:
🔊 हृदय पर प्रभाव: तेज शोर शरीर में “स्ट्रेस हार्मोन” जैसे कॉर्टिसोल और एड्रेनालिन की मात्रा बढ़ा देता है, जिससे दिल की धड़कन तेज हो जाती है। पहले से हृदय संबंधी बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को अचानक दिल का दौरा (Heart Attack) पड़ सकता है।
🧠 मस्तिष्क पर असर: लगातार तेज ध्वनि से सिरदर्द, चक्कर, बेचैनी और अनिद्रा की समस्या हो सकती है। कुछ मामलों में ये स्ट्रोक तक की स्थिति उत्पन्न कर सकती है।
👂 श्रवण क्षमता पर असर: लगातार 85 डेसिबल से ऊपर की ध्वनि लंबे समय तक सुनना स्थायी बहरेपन का कारण बन सकता है। डीजे साउंड अक्सर 100-120 डेसिबल से अधिक होता है।
😵 मानसिक स्वास्थ्य: तेज आवाज़ तनाव, चिड़चिड़ापन और मानसिक अस्थिरता को जन्म देती है, जिससे बुजुर्ग और बच्चों पर विशेष रूप से असर होता है।
🧒🏻👵🏻 बच्चों और बुजुर्गों के लिए अधिक खतरा: बच्चों का श्रवण तंत्र अधिक संवेदनशील होता है। बुजुर्गों और बीमार व्यक्तियों के लिए यह मानसिक और शारीरिक दबाव बढ़ा सकता है।
📉 सुरक्षा उपाय: आवाज़ की सीमा 80–85 डेसिबल तक सीमित रखें। डीजे कार्यक्रम सीमित समय तक ही चलाएं (1–2 घंटे से अधिक नहीं)। बच्चों, गर्भवती महिलाओं और हृदय रोगियों को डीजे स्पेस से दूर रखें। अगर आप चाहें तो मैं एक छोटा सा इंफोग्राफिक भी बना सकता हूँ जिसमें यह सब आसान तरीके से समझाया गया हो।