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रामपुर के शरण ढांक स्थित शिव गुफा में शिवलिंग की पूजा करती महिला |
प्राकृतिक रूप से बनी है गुफा के अंदर शिवलिंग सहित कई पिंडियां
वर्ष 1984 में पहाड़ी में मिला था पशु चराने गए बच्चों ने देखी थी गुफा
एआरबी टाइम्स ब्यूरो
रामपुर बुशहर। जिला शिमला के रामपुर उपमंडल के तहत स्थित निरथ से करीब चार किलोमीटर की दूरी पर शरण कांदल गांव में महाशिवरात्रि पर्व के लिए सैंकड़ों की संख्या में लोग प्राकृतिक शिव गुफा के दर्शनों के लिए पहुंचे, जो कि शरण ढांक में एक खड़ी पहाड़ी में स्थित है, बावजूद इसके शिव भक्त भी यहां दर्शनों लिए पहुंचे। वहीं इस गुफा में शिवलिंग सहि प्राकृतिक रूप से कई पिंडियां भी बनी हुई है, जिनने गणेश भगवान और शेष नाग की छवि साफ साफ देखी जा सकती है, जबकि शिवलिंग पर भी प्राकृतिक रूप से पहाड़ी से ही पानी लगातार टपकता रहता है।
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रामपुर के शरण ढांक स्थित दूसरी गुफा का चित्र
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इस मंदिर की खोज भी वर्ष 1984 के करीब बताई जाती है। उस समय में कुछ बच्चे अपने पशुओं को चराने के लिए गए थे। जिनमें से कुछ गुफा की तरफ गए और जब वे उन्हें वापस लाने गए तो गुफा काे देख कर वे भी अचंभित हो गए। बताया जाता है कि उस दौरान भगवान शिव व माता ने उन्हें दर्शन दिए, जिसके बाद यह गुफा अस्तित्व में गई।जैसे जैसे बात गांव में फैली तो लोगों को आना भी शुरू हुआ। जिसके बाद यहां पर एक और गुफा मिली, बताया जाता है कि दोनों गुफाओं को जोड़ने वाला रास्ता भी होता था। जो कि अब बंद हो चुका है, लेकिन दोनों गुफाओं के दर्शन आसानी से किए जा सकते हैं। मुख्य गुफा में तो एक समय में दो या तीन लोग ही दर्शन कर सकते हैं, जबकि दूसरी गुफा में अंदर बैठने के लिए काफी स्थान है और दोनों की गुफाओं की दिवारों में बहुत सी प्राकृतिक आकृतियां बनी हुई है।
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रामपुर के शरण ढांक स्थित शिव गुफा में दर्शनों के लिए लाईन
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गांव बुजुर्ग बगर्धन सिंह ने बताया कि गुफा के अस्तिव आने के बाद महाशिवरात्रि के रोज इतनी भीड़ आ गई थी, ग्रामीणों द्वारा भीड़ का नियंत्रित किया गया, क्योंकि उस समय पर वहां गिरने का बहुत बड़ा खतरा बना हुआ था। लेकिन आज जैसे जैसे समय बीत रहा है यहां पर सुविधाओं को निर्माण किया जा रहा है। जिसमें एसजेवीएन, पंचायत और लोगों को बहुत सहयोग रहता है। जबकि शुरू के दिनों में एक पगडंडी ही मात्र रास्ता दर्शनों लिए जाने के लिए था।
निरमंड के देव ढांक में भी उमड़ा आस्था जन सैलाब
जिला कुल्लू के निरमंड उपमंडल के देव ढांक में प्राकृतिक शिव गुफा में महाशिवरात्रि पर्व पर हजारों की संख्या में लाेग दर्शनों के लिए पहुंचे। मान्यता है कि इस प्राकृतिक गुफा में प्रवेश करते हुए धर्मी आसानी से अंदर और बाहर निकल सकता है, जबकि अधर्मी को दिक्कतें आती है। मान्यता यह भी है कि भगवान शिव भस्मासुर से बचते हुए देवदान स्थित शिव गुफा में छुपे थे और इसी गुफा से होते हुए कैलाश पहुंचे थे।