एआरबी टाइम्स ब्यूरो
रामपुर बुशहर। सराहन। सीटू से संबंधित मिड-डे मील वर्कर्स यूनियन ब्लॉक यूनिट सराहन की बैठक विश्राम गृह ज्यूरी में आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता यूनियन अध्यक्षा मीना ने की, जबकि महासचिव संगीता, सीटू नेता मिलाप नेगी, सीता देवी, सुमन, कमला देवी, रक्षा, कृष्णा मेहता, प्रोमिला, गीता देवी, ज्ञानू देवी, विजयलक्ष्मी सहित कई मिड-डे मील वर्कर मौजूद रहीं।
बैठक में 20 मई को होने वाली प्रदेशव्यापी हड़ताल को सफल बनाने की रणनीति तैयार की गई। मीना और संगीता ने कहा कि बढ़ती महंगाई के दौर में मात्र ₹500 की मानदेय बढ़ोतरी मजाक है। वर्कर्स को 10 महीने की बजाय 12 महीने का वेतन मिलना चाहिए, जैसा कि हिमाचल हाईकोर्ट ने 2019 और 2024 में अपने निर्णयों में कहा है, लेकिन राज्य सरकार इस पर अमल करने की बजाय सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रही है।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा 1094 स्कूल बंद किए जा चुके हैं और 1500 और स्कूल युक्तिकरण नीति के तहत बंद होने हैं, जिससे हजारों वर्कर्स बेरोजगार हो जाएंगे। केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति और केन्द्रीय किचन व्यवस्था मिड-डे मील योजना को निजी हाथों में सौंप रही है, जिससे वर्कर्स और लाभार्थी दोनों प्रभावित हो रहे हैं।
केंद्र सरकार द्वारा 2025-26 के बजट में मिड-डे मील योजना के लिए केवल ₹12,500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो 2022-23 के मुकाबले कम है। 2009 के बाद से मिड-डे मील वर्कर्स के वेतन में कोई वृद्धि नहीं हुई है, जबकि अंतर्राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन 2013 में ₹1,000 से ₹3,000 तक बढ़ाने का आश्वासन दिया गया था।
सीटू नेता मिलाप नेगी ने कहा कि 2013 के 45वें भारतीय श्रम सम्मेलन में मिड-डे मील वर्कर्स को स्थायी करने, न्यूनतम वेतन, ग्रेच्युटी व पेंशन योजना लागू करने का निर्णय लिया गया था, जिसे अब तक लागू नहीं किया गया है। सरकारें केवल पूंजीपतियों के हितों की चिंता कर रही हैं, जबकि वर्कर्स के अधिकारों की अनदेखी कर रही हैं।