Rampur Bushahr: सीटू व किसान सभा का संयुक्त विरोध प्रदर्शन

एआरबी टाइम्स ब्यूरो

रामपुर बुशहर। सीटू से संबद्ध यूनियनों ने केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के देशव्यापी प्रदर्शन के आह्वान पर झाकड़ी, बायल और रामपुर में हिमाचल किसान सभा के साथ मिलकर संयुक्त विरोध प्रदर्शन किया।

प्रमुख नेता यूनियन प्रतिनिधियों की भागीदारी

प्रदर्शन में सीटू जिला शिमला अध्यक्ष कुलदीप डोगरा, सचिव अमित, किसान सभा जिला अध्यक्ष प्रेम और रणजीत, नीलदत्त, 1500 मेगावाट वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष गुरदास, महासचिव कामराज, 412 मेगावाट वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष प्रमोद, महासचिव तिलक, कोषाध्यक्ष संजीव, लूहरी हाइड्रो वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष राजपाल भंडारी, महासचिव दिनेश मेहता, 210 मेगावाट वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष मंजीत, महासचिव लोकेन्द्र, नगर परिषद वर्कर्स यूनियन की ओर से ललिता, फूलवती, मंजू, सुनमोनी, अम्बिका, सुनील, संजीव आदि ने भाग लिया।

मोदी सरकार पर मजदूर विरोधी नीतियों का आरोप

नेताओं ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने अपने तीनों कार्यकालों में मजदूर, किसान, कर्मचारी और आम जनता विरोधी नीतियों को लागू किया है। सरकार के फैसलों के चलते देश में बेरोजगारी, महंगाई, भ्रष्टाचार और खाद्य असुरक्षा गहराई है।

अमीर-गरीब की खाई और कॉर्पोरेट का दबदबा

नेताओं ने बताया कि देश में शीर्ष 1% की संपत्ति 40.5% तक पहुंच गई है, जबकि सबसे गरीब 50% के पास मात्र 3% संपत्ति है। 5 बड़े कॉर्पोरेट समूह – रिलायंस, टाटा, बिड़ला, अदानी और भारतीके पास गैर-वित्तीय संपत्तियों का 20% से अधिक हिस्सा है। मोदी सरकार ने 17 लाख करोड़ का कॉर्पोरेट कर्ज माफ किया, जबकि किसानों के 18 लाख करोड़ के कर्ज में से एक रुपया भी माफ नहीं किया गया

मजदूर विरोधी श्रम संहिताओं का विरोध

वक्ताओं ने कहा कि मोदी सरकार अब चार श्रम संहिताएं (Labour Codes) लागू करने पर तुली है, जिससे 44 पुराने श्रम कानून समाप्त हो जाएंगे।

इससे:

  • 74% मजदूर सामाजिक सुरक्षा से बाहर हो जाएंगे।

  • 70% उद्योग कानूनी सुरक्षा से बाहर होंगे।

  • न्यूनतम वेतन निर्धारण का फार्मूला खत्म कर दिया गया है।

  • काम के घंटे तय करने का अधिकार सरकार को सौंप दिया गया है।

  • फिक्स टर्म रोजगार को वैध बनाया गया है।

  • यूनियन बनाने की प्रक्रिया कठिन की गई है।

  • श्रम न्यायालयों को समाप्त कर दिया गया है।

  • हड़ताल का अधिकार कमजोर किया गया है।

  • ठेका प्रथा को बढ़ावा मिला है और ठेकेदारों को लाइसेंस देने की सीमा 20 से बढ़ाकर 50 मजदूर कर दी गई है।

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