एआरबी टाइम्स ब्यूरो
शिमला। “डर के आगे जीत है”, इस कहावत को सच कर दिखाया है हर्षिता ठाकुर ने, जो कभी बर्फ से डरती थीं, लेकिन अब उसी पर विजय प्राप्त कर इटली के ट्यूरिन में आयोजित स्पेशल ओलंपिक्स में सिल्वर और कांस्य पदक जीतकर देश और प्रदेश का नाम रोशन किया है।

गांव में हुआ भव्य स्वागत
शिमला जिले की गलोट पंचायत के टिकरी गांव की बेटी हर्षिता ठाकुर जब बुधवार सुबह अपने गांव लौटी, तो पूरा गांव खुशी से झूम उठा। परिजनों समेत गांववासियों ने उनका भव्य स्वागत किया। माला और शॉल पहनाकर कई संगठनों ने उन्हें सम्मानित किया।
संघर्ष से सफलता तक का सफर
हर्षिता के पिता सोहन सिंह ठाकुर पुलिस विभाग में कार्यरत हैं और माता सीता देवी एक गृहिणी हैं। उन्होंने अपनी बेटी को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। हर्षिता ने पटना में भोची गेम नेशनल प्रतियोगिता में भी भाग लिया, जिससे उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली। खेलों में गहरी रुचि होने के बावजूद, हर्षिता को यह तय करने में कठिनाई हो रही थी कि किस खेल में करियर बनाना चाहिए। इस दौरान नारकंडा के राजेश बिट्टू, जो अल्पाइन स्कीइंग के प्रशिक्षक हैं, ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और स्नोबोर्डिंग में करियर बनाने की सलाह दी। इसके बाद हर्षिता ने नारकंडा में स्नो कैंप में प्रशिक्षण लेना शुरू किया।
डर को जीत में बदला
शुरुआती दौर में बर्फ से डरने वाली हर्षिता ने कोच अनूप शर्मा के मार्गदर्शन और अपने आत्मविश्वास से इस डर को दूर भगाया। कड़ी मेहनत और समर्पण से उन्होंने स्पेशल ओलंपिक्स में जगह बनाई और पदक जीतकर इतिहास रच दिया। हर्षिता ने अपनी सफलता का श्रेय स्पेशल ओलंपिक गेम्स के प्रोग्राम मैनेजर अजय कुमार शर्मा और हिमाचल के क्षेत्रीय निदेशक परीक्षित महदूदिया को दिया, जिनकी प्रेरणा से वह आगे बढ़ीं। साथ ही, उन्होंने उड़ान संस्था की निदेशक श्रीमती रैना की भी सराहना की, जिन्होंने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें आगे बढ़ने की उम्मीद दी। हर्षिता के माता-पिता ने उनकी इस उपलब्धि पर गर्व व्यक्त करते हुए मल्लिका नड्डा, निदेशक, स्पेशल ओलंपिक्स गेम्स का भी आभार जताया है।