एआरबी टाइम्स ब्यूरो
शिमला। हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की संदिग्ध मौत के मामले में नया मोड़ आ गया है। पुलिस जांच से असंतुष्ट परिजन अब हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट की शरण में पहुंच गए हैं। मृतक की पत्नी किरण नेगी की ओर से याचिका दायर कर मामले की जांच केंद्रीय जांच एजेंसी CBI को सौंपने की मांग की गई है। मंगलवार को अदालत याचिका पर सुनवाई करेगी।
परिजनों ने पुलिस जांच पर गंभीर सवाल उठाते हुए बताया कि उन्हें जांच प्रक्रिया पर कोई भरोसा नहीं है। उनका कहना है कि विमल नेगी 10 मार्च से लापता थे, जबकि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में उनकी मौत तीन दिन पुरानी बताई गई है। ऐसे में पुलिस यह पता नहीं लगा सकी कि वह तीन दिन तक कहां थे। परिजनों का आरोप है कि जब शव मिला, तब भी उन्हें मौके पर नहीं बुलाया गया। सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि पुलिस ने HPPCL के निदेशक देसराज की अग्रिम जमानत को हाईकोर्ट में चुनौती नहीं दी। जब देसराज सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, तो वहां भी हिमाचल सरकार की ओर से कोई वकील उसकी जमानत का विरोध करने नहीं पहुंचा। इससे परिजनों का भरोसा टूट गया है। परिजनों ने पावर कॉरपोरेशन के एमडी हरिकेश मीणा, डायरेक्टर देसराज और डायरेक्टर पर्सनल शिवम प्रताप सिंह पर मानसिक प्रताड़ना के आरोप लगाए हैं। 18 मार्च को विमल नेगी का शव बिलासपुर में गोबिंदसागर झील में मिला था।
अगले दिन विमल नेगी के शव के साथ शिमला में परिजनों और निगम कर्मचारियों ने पावर कॉरपोरेशन कार्यालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया था। इसके बाद न्यू शिमला थाने में देसराज सहित तीन अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। मुख्यमंत्री के निर्देश पर अतिरिक्त मुख्य सचिव (ACS) ओंकार शर्मा से मामले की जांच करवाई गई थी। जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप दी गई है, लेकिन इसे अब तक सार्वजनिक नहीं किया गया। सूत्रों के मुताबिक, जांच में परिजनों द्वारा लगाए गए उत्पीड़न के आरोपों को सही पाया गया है। परिजनों का कहना है कि निष्पक्ष और पारदर्शी जांच के लिए अब मामले को CBI को सौंपा जाना जरूरी है, ताकि सच्चाई सामने आ सके।