एआरबी टाइम्स ब्यूरो
रामपुर बुशहर। हिमाचल किसान बागवान यूनियन ने रामपुर सर्किट हाउस में वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) 2006 और वन अधिकार समिति (एफआरसी) के मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की। इस बैठक में रामपुर विधानसभा क्षेत्र से आए किसान-बागवानों को एफआरए के प्रावधानों के प्रति जागरूक किया गया। बैठक में विशेष रूप से सातवें वित्तायोग के अध्यक्ष और स्थानीय विधायक नंद लाल ने शिरकत की। उन्होंने कहा कि बंदोबस्त के दौरान सरकार से कई गलतियां हुईं, जिससे राजस्व रिकॉर्ड अधूरे रह गए। नंद लाल ने स्पष्ट किया कि सरकार अतिक्रमण के खिलाफ सख्त है, लेकिन यदि किसी ने घर के पास रसोई या बाथरूम जैसी आवश्यक सुविधाएं बनाई हैं, तो उसे अतिक्रमण नहीं माना जाएगा।
उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के आदेशों के बाद सरकार ने एक सब-कमेटी गठित की थी, जिसने प्रभावित लोगों को राहत देने के उपायों पर मंथन किया। रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया कि जिन लोगों का नाम एफआरए रिकॉर्ड में दर्ज है, उन्हें हटाया नहीं जा सकता। उन्होंने बताया कि एफआरए के तहत गांव, ब्लॉक और जिला स्तर पर कमेटियों का गठन किया गया है और एक बार नाम दर्ज हो जाने के बाद उसे अवैध नहीं माना जाएगा।
बिहारी सेवगी बने किसान-बागवानी यूनियन रामपुर के अध्यक्ष
बैठक में बिहारी सेवगी ने एफआरए के प्रावधानों की विस्तार से जानकारी दी और उपस्थित लोगों से इसका लाभ उठाने का आह्वान किया। उन्होंने बताया कि पंचायत स्तर पर पहले भी कई जागरूकता बैठकें आयोजित की जा चुकी हैं। इस अवसर पर हिमाचल किसान बागवान यूनियन की रामपुर विधानसभा इकाई की नई कार्यकारिणी का भी गठन किया गया। जिसमें बिहारी सेवगी को अध्यक्ष, ओम प्रकाश भारती को महासचिव, विरेंद्र भलूनी को वरिष्ठ उपाध्यक्ष, पदमा कौंग को उपाध्यक्ष, हितेश हस्टा को सचिव और मोहन नेगी को कोषाध्यक्ष चुना गया। इसके अलावा 51 सदस्यीय एक कमेटी भी बनाई गई, जो गांव-गांव जाकर एफआरसी समितियों के गठन में सहायता करेगी।