एआरबी टाइम्स ब्यूरो
शिमला। शिक्षा निदेशालयों के पुनर्गठन के विरोध में प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों के खिलाफ सरकार की सख्त कार्रवाई जारी है। सोमवार को शिक्षा विभाग ने चार और शिक्षकों को निलंबित कर दिया। इनमें कांगड़ा जिले के अनिल कुमार, ऊना की सुनीता शर्मा, मंडी के हेमराज और शिमला के प्रमोद चौहान शामिल हैं। इससे पहले 26 अप्रैल को भी छह शिक्षकों को निलंबित किया गया था। सरकार की कार्रवाई के बावजूद शिक्षक आंदोलन से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। शिक्षा सचिव ने साफ किया कि सरकार के आदेशों की अवहेलना करने वालों के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि शिक्षा निदेशालयों का पुनर्गठन सरकार का नीतिगत फैसला है और इसका विरोध करना अनुचित है, क्योंकि इससे शिक्षकों के अधिकारों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। प्रदेशभर के प्राथमिक शिक्षक शिमला में शिक्षा निदेशालयों के पुनर्गठन के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके लिए 16 अप्रैल को सरकार को नोटिस दिया गया था। बावजूद इसके सरकार की चेतावनी के बाद भी शिक्षक हड़ताल पर कायम रहे। शिक्षकों का गुस्सा शिक्षा सचिव के प्रति भी नजर आ रहा है।
प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष जगदीश शर्मा ने बताया कि शिक्षा निदेशालय के बाहर अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि जब तक सरकार उनकी मांगें नहीं मानती, धरना जारी रहेगा। हर दिन छह शिक्षक धरने पर बैठेंगे और इस आंदोलन को मजबूती दी जाएगी। शिक्षकों का कहना है कि पुनर्गठन से शिक्षा व्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और प्रशासनिक जटिलताएं बढ़ेंगी। वहीं, सरकार पुनर्गठन को शिक्षा व्यवस्था में सुधार और सुगमता लाने के लिए जरूरी कदम बता रही है। अब देखना होगा कि दोनों पक्षों के बीच कब तक टकराव चलता है और समाधान किस रूप में सामने आता है।