एआबी टाइम्स ब्यूरो
शिमला। जिला शिमला में ग्रामीण महिलाओं की स्वरोजगार पहल को मजबूती मिल रही है। क्लस्टर लेवल फेडरेशन (सीएलएफ) खुशाला ने जूट और चीड़ की पत्तियों से इको-फ्रेंडली उत्पाद तैयार करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। अब जूट बैग के हैंडल बनाने में बनार के पेड़ की रस्सी का इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे उत्पाद अधिक मजबूत और आकर्षक होंगे।
उपायुक्त से मिला फेडरेशन का प्रतिनिधिमंडल
सीएलएफ खुशाला के प्रतिनिधिमंडल ने उपायुक्त अनुपम कश्यप से मुलाकात की। उपायुक्त ने उत्पादों की सराहना करते हुए कहा कि स्थानीय कच्चे माल के उपयोग से पर्यावरण अनुकूल प्रणाली को बल मिलेगा। उन्होंने बनार की रस्सी के प्रयोग का सुझाव दिया जिसे फेडरेशन ने स्वीकार कर लिया है।
उत्पादों की गुणवत्ता और प्रशिक्षण पर ज़ोर
उपायुक्त ने भरोसा दिलाया कि जिला प्रशासन इन उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने में हरसंभव सहयोग करेगा। साथ ही गुणवत्ता, पैकिंग और मार्केटिंग तकनीकों को लेकर प्रशिक्षण शिविर जल्द आयोजित किए जाएंगे ताकि महिलाएं आधुनिक तकनीकों से भी परिचित हो सकें।
एक हजार से अधिक महिलाएं जुड़ीं रोजगार से
टूटू विकास खंड के अंतर्गत सीएलएफ खुशाला में करीब 1009 महिलाएं जुड़ चुकी है और इसमें 110 स्वयं सहायता समूहों हैं। महिलाएं स्थानीय संसाधनों से उत्पाद तैयार कर आत्मनिर्भर बन रही हैं। एनआरएलएम के मिशन एग्जीक्यूटिव कुशाल सिंह ने बताया कि बाजार और अन्य चुनौतियों से निपटने के लिए पूर्ण सहयोग प्रदान किया जा रहा है।
जूट से: लैपटॉप बैग, कॉन्फ्रेंस बैग, फाइल फोल्डर, लंच बॉक्स बैग और चीड़ की पत्तियों से: डेकोरेशन आइटम्स, हॉट केस, पेन स्टैंड, कोस्टर, प्लेसमेंट ट्रे, बास्केट, बाउल, मिनी चेस्ट और हैंगिंग लैंप तैयार किए जा रहे हैं।