एआरबी टाइम्स ब्यूरो
शिमला। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिक्षक कल्याण संघ (हपुटवा) और गैर-शिक्षक संघ के संयुक्त तत्वावधान में कुलपति कार्यालय के बाहर वेतन न मिलने को लेकर जोरदार धरना प्रदर्शन किया गया। शिक्षकों ने कक्षाओं का बहिष्कार किया और समस्त कर्मचारियों ने नाराज़गी जताते हुए नारेबाजी की। कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि वेतन न मिलने का कारण शिक्षा सचिव और उच्च शिक्षा निदेशक की असंवेदनशीलता है। बताया गया कि वेतन संबंधी फाइल 10 दिन तक शिक्षा सचिव के टेबल पर पड़ी रही, लेकिन उस पर हस्ताक्षर नहीं किए गए। देरी का कारण स्पष्ट नहीं किया गया, जिस पर जांच की मांग उठी।
प्रदर्शन में यह भी कहा गया कि पहले विश्वविद्यालय को तिमाही आधार पर अनुदान राशि मिलती थी, लेकिन अब उसे हर माह सरकार से अनुदान के लिए अनुरोध करना पड़ता है। यह स्थिति एक स्टेट यूनिवर्सिटी के सम्मान के विपरीत है, जिसकी वेतन ज़िम्मेदारी प्रदेश सरकार की है। कर्मचारियों ने यह भी बताया कि विश्वविद्यालय में रजिस्ट्रार की अनुपस्थिति के चलते प्रशासनिक कार्य ठप पड़े हैं और फाइलों का अंबार लग गया है। प्रदर्शन के दौरान यह भी उजागर किया गया कि CAS और RPC जैसी प्रक्रियाएं लंबित हैं। 2016 के वेतनमान का एरियर और पूरा महंगाई भत्ता (DA) भी कर्मचारियों को अब तक नहीं मिला, जिससे सरकारी व्यवस्था के प्रति रोष बढ़ रहा है। तीन घंटे चले प्रदर्शन के बाद प्रतिनिधिमंडल ने प्रति कुलपति से भेंट की और मांग की कि तीन दिनों के भीतर वेतन वितरण की सुचारू व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। धरने में डॉ. नितिन व्यास, डॉ. अंकुश, डॉ. अंजलि, डॉ. राम, डॉ. जोगिन्दर सकलानी, प्रो. दुनीचंद, प्रो. शिव डोगरा, प्रो. शशिकांत शर्मा, डॉ. सुनील, डॉ. पल्लवी सहित कई शिक्षक और कर्मचारी उपस्थित रहे। गैर-शिक्षक प्रतिनिधियों में राजेश, सुनील, राजकुमारी, राणा जी, धरमपाल आदि शामिल थे।