एआरबी टाइम्स ब्यूरो
शिमला। HPPCL के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की संदिग्ध मौत के मामले में अब सीबीआई जांच होगी। शुक्रवार सुबह न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की अदालत ने यह अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सीबीआई की जांच टीम में हिमाचल कैडर का कोई भी अधिकारी शामिल नहीं होगा, ताकि निष्पक्षता बनी रहे। अदालत ने कहा कि दो महीने से अधिक समय बीत जाने के बावजूद शिमला पुलिस किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच पाई। कोर्ट ने शिमला पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करते हुए मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच केंद्रीय एजेंसी को सौंप दी।
कोर्ट ने यह निर्णय अतिरिक्त मुख्य सचिव (ACS) ओंकार शर्मा और डीजीपी अतुल वर्मा की रिपोर्टों के विश्लेषण के बाद लिया। इन रिपोर्टों में पावर कॉरपोरेशन के तत्कालीन एमडी हरिकेश मीणा और निलंबित निदेशक देशराज पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि जांच में जानबूझकर लापरवाही बरती गई और इसे आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की गई। बीते बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान अदालत ने सभी पक्षों को सुना और डीजीपी व एसपी शिमला के बीच के आपसी मतभेदों पर चिंता जताई। कोर्ट ने टिप्पणी की थी, “न्याय सिर्फ होना नहीं चाहिए, बल्कि होता हुआ दिखना भी चाहिए।”
कोर्ट में पेश रिपोर्टों में सामने आया कि पावर कॉरपोरेशन से जुड़े उच्च अधिकारियों पर प्रताड़ना के आरोप हैं। साथ ही शिमला पुलिस की ओर से मामले की जांच में ढिलाई, सबूतों को सुरक्षित न रखना, और पीड़ित परिजनों को समय पर सूचना न देने जैसे कई गंभीर मुद्दे उजागर हुए। अब इस हाई-प्रोफाइल मामले की जांच सीबीआई करेगी। परिजन पहले से ही पुलिस जांच पर भरोसा नहीं जता रहे थे। हाईकोर्ट के इस आदेश से उम्मीद जताई जा रही है कि मामले की निष्पक्ष जांच हो सकेगी और दोषियों को न्याय के कटघरे में लाया जा सकेगा। हाईकोर्ट का यह फैसला ना सिर्फ विमल नेगी के परिजनों के लिए उम्मीद की किरण है, बल्कि यह पुलिस और प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर भी कठोर प्रश्नचिह्न है। अब निगाहें सीबीआई पर टिक गई हैं कि वह कितनी जल्दी और पारदर्शिता से जांच करती है।
इसलिए परिजनों ने नहीं किया पुलिस पर भरोसा
विमल नेगी 10 मार्च से लापता थे। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक उनकी मौत 13 मार्च को हो गई थी। इन तीन दिनों में वह कहां रहे, इसका पता शिमला पुलिस नहीं लगा सकी। हाईकोर्ट से पावर कॉरपोरेशन के डायरेक्टर देसराज की बेल खारिज होने के बावजूद पुलिस ने उसे गिरफ्तार नहीं किया। जब देसराज ने सुप्रीम कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका लगाई, तो हिमाचल सरकार की ओर से कोई वकील उसका विरोध करने नहीं पहुंचा। 18 को शव मिलने के बाद परिजनों को मौके पर नहीं बुलाया गया, जिससे संदेह और बढ़ा। इन तमाम चूकों और अनसुलझे सवालों के चलते विमल नेगी के परिजनों का शिमला पुलिस पर से पूरी तरह भरोसा उठ गया है। उन्हें शक है कि जांच को जानबूझकर कमजोर किया गया। यही कारण है कि उन्होंने मामले की सीबीआई जांच की मांग की थी।