एआरबी टाइम्स ब्यूरो
सुंदरनगर(मंडी)। केंद्रीय कृषि मंत्रालय और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा चलाए जा रहे विकसित कृषि संकल्प अभियान के अंतर्गत मंडी जिले में कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा विभिन्न ब्लॉकों – सुंदरनगर, बल्ह, सरकाघाट, धर्मपुर आदि के गांवों में कृषि संवाद कार्यक्रम आयोजित किए गए। जिसका मुख्य उद्देश्य किसानों को वैज्ञानिक कृषि पद्धतियों और आधुनिक तकनीकों से जोड़कर सशक्त बनाना है।
केंद्र के प्रभारी डॉ. पंकज सूद ने बताया कि कार्यक्रम में कृषि, बागवानी, जीका, आत्मा विभागों के विशेषज्ञों ने खरीफ सीजन को ध्यान में रखते हुए किसानों को तकनीकी सलाह दी और उनकी समस्याओं का समाधान किया। यह कार्यक्रम “विकसित भारत-2047” दृष्टिकोण का हिस्सा है, जो किसानों को उन्नत तकनीक, प्राकृतिक खेती, और सरकारी योजनाओं से लाभान्वित करने की दिशा में कार्य कर रहा है।
इस अभियान के अंतर्गत प्राकृतिक खेती को विशेष बढ़ावा दिया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा रासायन मुक्त मक्की, गेहूं और हल्दी के लिए क्रमशः ₹40 और ₹90 प्रति किलो न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करना इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह पहल किसानों की आय बढ़ाने और पर्यावरण अनुकूल खेती को बढ़ावा देने में सहायक है।
ड्रोन तकनीक, सैटेलाइट आधारित फसल निगरानी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और डिजिटल प्लेटफॉर्म का प्रयोग करके खेती को अधिक वैज्ञानिक और डेटा आधारित बनाया जा रहा है। फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन (FPO) को भी सशक्त किया जा रहा है ताकि किसान सीधे बाजार से जुड़ सकें और अपने उत्पाद का उचित मूल्य प्राप्त कर सकें।
स्थानीय पंचायतों के सहयोग से गांव-गांव में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जहां किसानों को विभागीय योजनाओं, प्रशिक्षण कार्यक्रमों और अनुदान योजनाओं की जानकारी दी जा रही है। विशेषज्ञों ने बागवानी, पशुधन प्रबंधन और क्लस्टर विकास जैसे विषयों पर व्याख्यान दिए और किसानों के सवालों के उत्तर भी दिए।
यह अभियान केवल कृषि क्षेत्र के विकास तक सीमित नहीं, बल्कि ग्रामीण समृद्धि, खाद्य सुरक्षा और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की दिशा में एक सशक्त प्रयास है।