एआरबी टाइम्स ब्यूरो
शिमला। हिमाचल प्रदेश में पारंपरिक उद्योगों के पुनरुत्थान और कारीगरों की आर्थिकी सुदृढ़ करने की दिशा में प्रदेश सरकार निरंतर प्रयासरत है। इसी क्रम में शोघी (शिमला) में पारंपरिक उद्योगों के पुनरुत्थान के लिए निधि योजना (SFURTI) पर आधारित एक जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस कार्यशाला में 70 से अधिक कारीगरों, स्वयं सहायता समूहों, पंचायत प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
उद्योग विभाग, शिमला के आर्थिक अन्वेषक प्रमोद शर्मा ने विशेष रूप से उपस्थित होकर स्फूर्ति योजना की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस योजना का उद्देश्य पारंपरिक उद्योगों को समूहों (क्लस्टर) के रूप में संगठित करना है, ताकि उन्हें उन्नत उपकरण, प्रशिक्षण, विपणन सुविधाएँ और सतत आजीविका के अवसर प्राप्त हो सकें।
उन्होंने कहा कि उद्योग विभाग, MSME मंत्रालय और NABCON के सहयोग से प्रदेश के सभी 12 जिलों में इस तरह की कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा, जिससे राज्य के ग्रामीण एवं पारंपरिक कार्यबल को कौशल विकास व उद्यमिता में मदद मिलेगी।
कार्यशाला के दौरान कई कारीगरों ने अपने अनुभव साझा किए और बताया कि उन्हें पहली बार यह जानकारी मिली कि सरकार किस प्रकार आर्थिक सहायता और प्रशिक्षण प्रदान कर रही है। उन्होंने कहा कि स्फूर्ति योजना उनके व्यवसाय को नई दिशा देने में सहायक सिद्ध होगी।
कार्यशाला में प्रतिभागियों को व्यवसाय नियोजन, विपणन रणनीतियाँ, उत्पाद विविधीकरण, गुणवत्ता सुधार, आधुनिक तकनीक और अन्य सरकारी योजनाओं के बारे में प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
इस पहल से न केवल पारंपरिक कारीगर आर्थिक रूप से सशक्त होंगे, बल्कि उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों से भी जोड़ा जा सकेगा। सरकार का लक्ष्य है कि दूरदराज और ग्रामीण क्षेत्रों के कारीगर भी इस योजना का लाभ प्राप्त करें और आत्मनिर्भर बनें।