Rampur Bushahr: वन अधिकार अधिनियम 2006 पर पंचायत प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण, ग्राम सभा की भूमिका और प्रक्रिया पर दिया गया जोर

एआरबी टाइम्स ब्यूरो

रामपुर बुशहर। रामपुर, पीजी कॉलेज सभागार में सोमवार को एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें पंचायत प्रधानों, सचिवों और एफआरसी (वन अधिकार समिति) सदस्यों को अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परंपरागत वन निवासी अधिनियम 2006, नियम 2008 एवं संशोधित नियम 2012 के बारे में जागरूक किया गया। यह शिविर वन अधिकार अधिनियम (FRA) के तहत जागरूकता और क्रियान्वयन की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल रही।

कार्यक्रम की अध्यक्षता मंडलाधिकारी रामपुर हर्ष अमरेन्द्र सिंह ने की। उन्होंने बताया कि यह अधिनियम उन अन्य परंपरागत वन निवासियों या समुदायों को अधिकार देता है, जो 13 दिसंबर 2005 से पहले कम से कम तीन पीढ़ियों (75 वर्षों) से प्राथमिक रूप से वन भूमि पर निवास कर रहे हैं और अपनी आजीविका के लिए वनों पर निर्भर हैं। इन्हें व्यक्तिगत, सामुदायिक और सामुदायिक वन संसाधनों की सुरक्षा व प्रबंधन का अधिकार प्राप्त है।

उन्होंने बताया कि इस कानून के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए गांव, उपमंडल, जिला और राज्य स्तर पर समितियों के गठन का प्रावधान है, जिनकी अलग-अलग भूमिका और जिम्मेदारियां तय की गई हैं।

ग्राम सभा की भूमिका पर जोर देते हुए मंडलाधिकारी ने कहा कि वन अधिकार अधिनियम ग्राम सभा को सामुदायिक वनों की सुरक्षा, संरक्षण और प्रबंधन की जिम्मेदारी भी देता है। वन अधिकार समिति (एफआरसी) के गठन के लिए ग्राम सभा में संबंधित ग्राम के वयस्क लोगों का कम से कम 50% कोरम अनिवार्य है। समिति में कम से कम 10 और अधिकतम 15 सदस्य होते हैं, जिनमें 30% महिलाएं होना अनिवार्य है।

एफआरसी का कार्य है कि वे उन लोगों से आवेदन प्राप्त करें जो 13 दिसंबर 2005 से पहले तीन पीढ़ियों से वन भूमि का उपयोग कर रहे हैं। आवेदन के साथ दो वृद्ध व्यक्तियों के गवाह भी आवश्यक हैं, जिनका स्वयं का उस भूमि पर कोई दावा नहीं होना चाहिए।

प्रक्रिया पूरी करने के बाद समिति आवेदन को सब डिविजनल लेवल कमेटी को भेजेगी, जहां से उसे जांच के बाद जिला स्तरीय कमेटी को अग्रेषित किया जाएगा। यदि कोई कमी पाई जाती है तो आवेदन वापस भेजा जा सकता है। अंतिम निर्णय लेने का अधिकार केवल जिला स्तरीय कमेटी को होता है।

मंडलाधिकारी ने जानकारी दी कि उपमंडल स्तर के बाद तहसील और उप-तहसील स्तर पर भी इस कानून पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

इस अवसर पर हिम जागृति मंच के अध्यक्ष एवं वनाधिकार विशेषज्ञ जिया लाल, प्रदेश इंटक उपाध्यक्ष बिहारी लाल सेवागी और रामा नन्द नेगी ने भी अधिनियम 2006 की विस्तृत जानकारी दी।

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