Solan : एक साथ चुनाव; समय की मांग, देश की जरूरत : बिंदल

एआरबी टाइम्स ब्यूरो
सोलन। सोलन में वन नेशन, वन इलेक्शन विषय पर आयोजित संगोष्ठी में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने कहा कि यह आज देश की जरूरत बन गया है। उन्होंने कहा कि लगातार होते चुनावों से देश की ऊर्जा, समय और धन का भारी अपव्यय हो रहा है। डॉ. बिंदल ने बताया कि भारत ने जब डॉ. भीमराव अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान को स्वीकार किया गया, तब लोकसभा, विधानसभाओं, पंचायतों और नगर निकायों के चुनाव एक साथ होते थे। तीन चुनावों तक यह व्यवस्था बनी रही।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकारों ने संविधान की शक्तियों का दुरुपयोग कर राज्यों की सरकारों को निर्धारित समय से पहले बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाया। विशेष रूप से इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के कार्यकाल में धारा 356 का दुरुपयोग हुआ, जिससे चुनावी ढांचा बिखर गया और अलग-अलग समय पर चुनाव होने लगे।
उन्होंने 1975 के आपातकाल का उल्लेख करते हुए कहा कि इंदिरा गांधी ने लोकतंत्र को कुचल दिया, लोकसभा का कार्यकाल 5 से 6 साल कर दिया और संविधान में धर्मनिरपेक्ष जैसे शब्द जोड़कर मूल भावना बदल दी।

संघीय ढांचे पर असर

उन्होंने कहा कि बार-बार चुनावों और राजनीतिक आधार पर सरकारों को गिराने से संघीय ढांचे को नुकसान हुआ। राम मंदिर आंदोलन के दौरान उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, गुजरात और मध्य प्रदेश की चुनी हुई सरकारों को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाया गया।

एक साथ चुनाव क्यों जरूरी?
अगर लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होंगे, तो:
✅ समय और धन की बचत होगी।
✅ सरकारों के निर्णय बार-बार प्रभावित नहीं होंगे।
✅ विकास प्रक्रिया बाधित नहीं होगी।
✅ अमेरिका जैसे देशों की तरह भारत में भी स्थिर चुनाव प्रणाली संभव होगी।

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