एआरबी टाइम्स ब्यूरो
रामपुर। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की लोकल कमेटी रामपुर की बैठक किसान मजदूर भवन चाटी में दिनेश मेहता की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। बैठक में लोकल कमेटी सचिव कुलदीप डोगरा, दिनेश मेहता, रणजीत, दयाल भाटनू, राजपाल, आशा, अमित और मिलाप सहित कई कार्यकर्ता मौजूद रहे।
बैठक में 20 मई, 2025 को लेबर कोड के खिलाफ प्रस्तावित देशव्यापी आम हड़ताल को पूर्ण और सक्रिय समर्थन देने का निर्णय लिया गया। लोकल कमेटी सचिव कुलदीप डोगरा और सदस्य अमित ने कहा कि यह हड़ताल केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और स्वतंत्र क्षेत्रीय महासंघों के संयुक्त मंच द्वारा आहूत की गई है।
लेबर कोड नवउदारवाद का औजार है
अमित ने कहा कि लेबर कोड मोदी सरकार द्वारा आगे बढ़ाए जा रहे नवउदारवादी एजेंडे का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य श्रमिकों के अधिकारों को सीमित करना है। इनमें काम के घंटे, न्यूनतम मजदूरी, सामाजिक सुरक्षा और संगठित होकर संघर्ष करने का अधिकार शामिल हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार UAPA, PMLA और नए भारतीय दंड संहिता (BNS) के प्रावधानों का उपयोग कर ट्रेड यूनियनों को दबाने में लगी है। बीएनएस की धारा 111 के तहत श्रमिकों की सामूहिक कार्रवाइयों को ‘संगठित अपराध’ बताया जा रहा है और यूनियन नेताओं को बिना जमानत जेल भेजा जा रहा है।
जन विश्वास अधिनियम के प्रभाव
जन विश्वास अधिनियम के माध्यम से 41 कानूनों के तहत 180 अपराधों को अपराधमुक्त कर दिया गया है। यह श्रमिक हितों के खिलाफ है और पूंजीपतियों को छूट देने जैसा है।
श्रम संहिताएं: कॉरपोरेट शोषण को खुली छूट
श्रम संहिताएं और ‘व्यापार करने में आसानी’ के नाम पर लाए गए अन्य उपाय ट्रेड यूनियनों को कमजोर करते हैं और मजदूरों को आभासी गुलामी की ओर धकेलते हैं, जिससे देशी-विदेशी पूंजीपतियों को बेलगाम शोषण का अवसर मिलता है।