Kinnaur : माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली पहली दृष्टिबाधित महिला बनीं हिमाचल की छोंजिन अंगमो

एआरबी टाइम्स ब्यूरो

रिकांगपिओ। हिमाचल के किन्नौर जिले के दुर्गम क्षेत्र चांगों गांव की 28 वर्षीय छोंजिन अंगमो ने 19 मई 2025 को माउंट एवरेस्ट को फतह कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। छोंजिन अंगमो भारत और विश्व की पहली दृष्टिबाधित महिला बन गई हैं, जिन्होंने माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई पूरी की। यह उपलब्धि न केवल उनके जीवन की एक बड़ी सफलता है, बल्कि दृष्टिबाधित और विकलांग लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनी है।

छोंजिन अंगमो का संघर्ष और सपनों की उड़ान

छोंजिन अंगमो ने बताया कि उनका माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने का सपना बचपन से ही था। आठ वर्ष की उम्र में एक दवा से एलर्जी के कारण उनकी आंखों की रोशनी प्रभावित हुई, जिसके बावजूद उन्होंने अपने सपनों को पूरा करने का हौसला नहीं छोड़ा। उनके परिवार ने उनका पूरा समर्थन किया। 2006 में उनके पिता अमर चंद और माता सोनम छोमो ने उन्हें महाबोधि इंटरनेशनल मेडिटेशन सेंटर के तहत संचालित लेह के महाबोधि स्कूल और दृष्टिबाधित बच्चों के छात्रावास में दाखिला दिलाया। छोंजिन ने चंडीगढ़ से अपनी 11वीं और 12वीं की पढ़ाई पूरी की और दिल्ली के प्रतिष्ठित मिरांडा हाउस कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल की। 2016 में उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी इंस्टीट्यूट से पर्वतारोहण का प्रशिक्षण लिया, जहां उन्हें सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षु का पुरस्कार भी मिला। इस प्रशिक्षण ने उन्हें पर्वतारोहण के क्षेत्र में आगे बढ़ने का मार्ग दिया।

यूनियन बैंक ऑफ इंडिया का सहयोग

अपने माउंट एवरेस्ट के सपने को पूरा करने के लिए छोंजिन ने कई लोगों और संस्थानों से सहायता मांगी, लेकिन किसी से सहयोग नहीं मिल पाया। अंततः यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने उनका सहयोग किया और आज वह इस सपने को साकार करने में सफल हुईं। छोंजिन वर्तमान में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, दिल्ली में ग्राहक सेवा सहयोगी के पद पर कार्यरत हैं। छोंजिन अंगमो न केवल अपने परिवार और हिमाचल प्रदेश के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा हैं। उनकी कहानी यह दिखाती है कि चाहे कितनी भी कठिनाइयां आएं, अगर इरादे मजबूत हों तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता।

महत्वपूर्ण अभियान और अनुभव

छोंजिन अंगमो ने पहले भी कई कठिन पहाड़ों पर चढ़ाई की है। 2021 में वह टीम क्लॉ के नेतृत्व में ऑपरेशन ब्लू फ्रीडम का हिस्सा बनीं, जिसमें सियाचिन ग्लेशियर पर विशेष रूप से सक्षम व्यक्तियों के लिए एक अभियान चलाया गया। उन्होंने सियाचिन कुमार पोस्ट (15632 फीट) और लद्दाख की एक अज्ञात चोटी (19717 फीट) पर भी सफलता से चढ़ाई की है। उनके असाधारण साहस और उपलब्धियों को देखते हुए, भारत के राष्ट्रपति ने 2024 में उन्हें ‘सर्वश्रेष्ठ दिव्यांगजन’ का राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया। यह सम्मान छोंजिन के हौसले और प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।